सबगुरु न्यूज। वह हाड़ मांस का पुतला था। परम विद्वान था वो। ज्ञान व भक्ति की पराकाष्ठा के साथ हर कार्य का सोची समझी रणनीति के अनुसार ही करता था। कई विद्या का जानकार था वो। उसके तामसी गुण से उपजे अंहकार से उसने प्रकृति को चुनौती दे डाली।
बस यही गलती हो गई, प्रकृति से जब जब कोई लडा है तो प्रकृति ने उनका अंत जर्जर तरीके से किया है। यह सब जानते हुए भी उसने वह कार्य किया जिसमें उसका विनाश छिपा हुआ था।
धरी रह गई उसकी अजेय लंका जो वास्तु शास्त्र के मूर्धन्य विद्वान “मय” ने बनाई और बेबस रहते ग्रह नक्षत्रों के खेल जो उसके नियंत्रण में था। खत्म हो गई वे सिद्धीयां जिसके बल पर वह आकाश में उडकर पलक झपकते ही जहां चाहता वहां पहुंच जाता।
मायावी अंतरिक्ष युद्ध का वह बेताज बादशाह था। सृष्टि के रचयिता ब्रहमा जी का दिया अमृत कुंड भी काम नहीं आया। उसका शक्ति बल और शस्त्र भी जमीन देखने लग गए।
स्वर्ग की दुनिया उसके कब्जे मे भी, आकाश के हर लोक उसके कब्जे मे थे। अपने साम्राज्य में ही नहीं वरन् एक लोक से दूसरे लोको में वह घूम घूम कर अपनी बल और बुद्धि का गुण गाता था। लेकिन यह सब उसकी जमीनी हकीकत जमीं में ही जमीदोज हो गई।
अति बलवान बादशाह होकर भी वह एक दिन जमी पर सदा सदा के लिए सो गया और उसका कुनबा भी धराशायी हो गया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने रावण का वध कर तो दिया लेकिन उसके गुणों की खुशबू व बदबू सर्वत्र फैल गई।
रावण के यही गुण और दोष उसे हमेशा के लिए अजेय छोड़ गए। हाड़ मांस का रावण तो मर गया लेकिन बुरी संस्कृति का रावण आज भी सर्वत्र अजेय बनता जा रहा है, आदर्श संस्कृति के राम आज भी जूझ रहे हैं।
रावण की बुरी संस्कृति का रावण आज केवल हाड़ मांस का ही पुतला नहीं है वरन् खरे सोने का कवच धारण कर उसमें छिप गया और खरा भी बनता गया और बुरा भी करता गया।
पहले रावण मायावी था लेकिन आज वह सोने का बन गया जिसे आग में डालने से वह और निखर गया। सर्वत्र तबाही मचाते हुए ये रावण अनन्त हो गए और सर्वत्र संस्कृति का चीर हरण कर रहे हैं और राम की जगह अपनें आप को पूजवा रहें हैं। ये सर्वत्र अपना बजूद दिखा मानव और मानवता का लूट रहे हैं इसी कारण से विश्व समाज हर तरह की समस्यायो से पीड़ित हो रहा हैं।
संत जन कहते हैं कि हे मानव तू अपने आप को इस सोने के रावण से बाहर नहीं निकालेगा तो छल, कपट, झूठ, फरेब, लालच और अंहकार तेरे अंदर बैठे उस सोने के रावण को अजेय बना देंगे तथा हर शक्ति बाण को फूल का बना देंगे। सोने के रावण की चमक को निखार देंगे।
सौजन्य : भंवरलाल