रांची। नेशनल हाइवे 23 पर स्थित मां छिन्नमस्तिका में नवरात्र के दौरान विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान मां छिन्नमस्तिका मंदिर के पुजारी दुर्गा सप्तशती और मंत्र का जाप लगातार नौ दिनों तक करते रहते हैं।
नौंवें दिन विशेष पूजा में नौ कुंवारी कन्याओं को खाना खिलाया जाता है और उनकी पूजा होती है। ये नौ कुंवारी कन्याएं मां दुर्गा के रूपों को इंगित करती हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन होता है।
नवरात्र के अंतिम दिन विजयादशमी को यहां लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस दौरान यहां आनेवाले श्रद्धालु दामोदर तथा भैरवी नदी के संगम में स्नान भी करते हैं।
छिन्नमस्तिका मंदिर की वास्तुशिल्प रचना तांत्रिक महत्व को इंगित करती है। तांत्रिक इस मंदिर को तंत्र साधना के पवित्र स्थल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यहां नवरात्र में बलि भी दी जाती है।
मंगलवार, शनिवार और काली पूजा तथा नवरात्र के नौवें दिन यहां बलि दी जाती है। बलि के बाद मांस को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाता है।
मां छिन्नमस्तिका को मनोकामना देवी के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी विशेष मान्यता है कि मां सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मुख्य मंदिर के इर्द-गिर्द कई और मंदिर भी बनाए गए हैं। इनमें अष्टमात्रिका और दक्षिणाकाली मंदिर प्रमुख हैं।
महाविद्या के मंदिरों में तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, बागला, कमला, मतंगी, धूमवती शामिल हैं। इस विशिष्ट धार्मिक स्थल के अलावा इस इलाके में एक बेहद खूबसूरत पिकनिक स्पॉट भी है, जहां नौकाविहार की भी सुविधा है। इतना ही नहीं यहां की सुंदर पहाड़ी और घने जंगल भी लोगों को आकर्षित करते हैं।