नई दिल्ली। तमाम विवादों के बाद राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के किनारे ऑर्ट ऑफ लिविंग के बैनर तले विश्व सांस्कृतिक समारोह शुकवार से शुरु हो गया।
फेस्टिवल में ऑर्ट ऑफ लिविंग श्री श्री रविशंकर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नेपाल, रुस, सहित देश-विदेश के कई हजार लोग शामिल हुए हैं। हालांकि कार्यक्रम की शुरुआत में बारिश की वजह से फेस्टिवल को लेकर कुछ खलल पड़ी लेकिन उसके बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं दिखा। कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार एवं सांस्कृतिक नृत्य के साथ हुई।
विश्व सांस्कृतिक समारोह का उदघाटन करते हुए ऑर्ट ऑफ लिविंग प्रमुख श्रीश्री रविशंकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सहित अन्य देशों से आए प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कार्यक्रम की शुरुआत से पहले कुछ विवाद जरूर उत्पन्न हुआ, लेकिन कार्यक्रम अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होगा।
इस दौरान रविशंकर ने उम्मीद जताई कि अगले तीन दिनों तक (11 मार्च 13 मार्च) तक चलने वाले इस समारोह में देश-विदेश के करीब 35 लाख लोग शामिल होंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत में ही फेस्टिवल को एक और झटका लगा है। पहले से ही विवादों में चल रहे कार्यक्रम में जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने सुरक्षा और प्रोटोकॉल के चलते हिस्सा लेने से मना कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस संदर्भ में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मीडिया को यहां बताया कि राष्ट्रपति मुगाबे को विदेश मंत्रालय ने नहीं बुलाया था, बल्कि उन्हें श्री श्री रविशंकर के फाउंडेशन की ओर से निमंत्रण दिया गया था।
विकास स्वरुप ने कहा कि मुगाबे के नहीं आने की वजह यह भी हो सकती है कि प्रोग्राम में राष्ट्रपति स्तर की कोई और हिस्सेदारी नहीं है।
जानकारी हो कि पर्यावरण सुरक्षा एवं यमुना में गंदगी फैलने को लेकर यह कार्यक्रम शुरु होने से पहले ही विवाद के दौर में चला गया था। इस पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने ऑर्ट ऑफ लिविंग पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी के फैसले का विरोध करते हुए रविशंकर ने साफ किया था कि वो जेल जाना पंसद करेंगे, लेकिन जुर्माना अदा नहीं करेंगे। फिर शुक्रवार को सुनवाई के बाद एनजीटी ने रविशंकर को तत्काल रुप से पच्चीस लाख रुपए अदा करने एवं अगले तीन हफ्ते में शेष 4.75 करोड़ रुपए देने का निर्देश दिया हैं।