पटना। राष्ट्रीय जनता दल सृजन घोटाले को लेकर बिहार की सत्ता से हाल के दिनों में बाहर हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश में लगी है। इसी के तहत राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गुरुवार को सृजन घोटाले से संबंधित 11 सावल नीतीश से पूछे हैं।
लालू ने सवालों की लंबी फेहरिस्त जारी करते हुए इस मामले में कथित संलिप्तता पर नीतीश से सवाल पूछे हैं। लालू ने अपने सवालों की इस सूची को ट्विटर पर भी साझा किया है।
अपने सवालों में लालू ने नीतीश से पूछा है कि 25 जुलाई 2013 को संजीत कुमार नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेट और सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री बिहार को सृजन महिला बैंक चलाने और करोड़ों के गबन संबंधित जानकारी देते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उस पर कोई कार्वाई नहीं की। ऐसा कर उन्होंने घोटाले करने वालों को बचाया ही नहीं, बल्कि सरकारी खजाना लूटने के लिए प्रोत्साहित किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे सवाल किए कि नौ सितंबर 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर सृजन समिति में हो रहे घोटाले एवं वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यमंत्री ने बैंक के संदेह को भी दरकिनार करते हुए लगातार घोटालेबाजों का साथ दिया।
अपने तीसरे प्रश्न में लालू ने कहा कि 2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने सृजन मामले में शिकायत मिलने पर जांच के आदेश दिए थे, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई। उन्होंने पूछा इस जांच रिपोर्ट को क्यों दबाया गया? उस जांच रिपोर्ट को दबाकर किसे फायदा पहुंचाया गया?
राजद अध्यक्ष ने सवाल किया कि वर्ष 2013 में सृजन घाटाले में जांच का आदेश देने वाले जिलाधिकारी का मुख्यमंत्री ने तबादला क्यों किया?
वर्ष 2006 से चल रहे इस घोटाले में मुख्यमंत्री की ओर से 10 साल तक कार्रवाई नहीं करने पर भी प्रश्न खड़ा करते हुए लालू ने कहा कि मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील मोदी इस मामले के सीधे दोषी हैं।
लालू ने नीतीश से सवालिया लहजे में पूछा कि आर्थिक अपराध शाखा ने सृजन घोटाले में लिप्त बिहार सरकार की अधिकारी जयश्री ठाकुर के करोड़ों रुपए जब्त किए गए, इसके बावजूद आर्थिक अपराध शाखा ने पूरे घोटाले का अनुसंधान किसके इशारे पर नहीं किया? वर्ष 2005 से गृह विभाग नीतीश के पास है। नीतीश ने आर्थिक अपराध शाखा की जांच को क्यों छिपाया?
लालू ने आगे पूछा कि सरकारी अधिकारी जयश्री के सृजन खाते से सात करोड़ 32 लाख रुपए जब्त किए गए थे, परंतु उन्हें इतने वर्ष तक बर्खास्त क्यों नहीं किया?
उन्होंने आगे कहा कि जयश्री का अधिकतर कार्य क्षेत्र भागलपुर और बांका में ही करने का मुख्यमंत्री का उद्देश्य क्या था? यही नहीं ठाकुर को बांका का भू-अर्जन पदाधिकारी रहते हुए भागलपुर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
अपने नौवें सवाल में लालू ने कहा कि वर्ष 2010 में भी उन्होंने एसी-डीसी घोटाले को उठाया था। इसके बावजूद नीतीश सरकार ने इस घोटाले को जारी रखा।
लालू ने एक अन्य प्रश्न में पूछा है कि वित्तीय वर्ष 2010-11 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 11-12 हजार करोड़ के सरकारी खजाने की अनियमितता का जिक्र किया था, उसके बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
अपने अंतिम सवाल में लालू ने पूछा कि सीबीआई जांच के आदेश देकर मुख्यमंत्री किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या वह आरबीआई का ‘सकरुलर’ नहीं जानते, जिसमें स्पष्ट है कि अगर 30 करोड़ से ज्यादा की कोई वित्तीय अनियिमतता है, तो उसकी जांच सीबीआई करेगी। यह तो 15 हजार करोड़ का महा-घोटाला है।