श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष तथा जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला ने शनिवार को श्रीनगर-बडगाम संसदीय उपचुनाव में जीत दर्ज की।
अब्दुल्ला ने इसे ‘अब तक का सबसे रक्तरंजित’ चुनाव करार देते हुए केंद्र सरकार से राज्य में राज्यपाल शासन लगाने का अनुरोध किया। फारूक ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नजीर अहमद खान को 10,776 मतों के अंतर से पराजित किया।
निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि फारूक को 48,555 मत मिले थे, जबकि खान के पक्ष में 37,779 मत पड़े। नोटा के पक्ष में 963 मत पड़े। उपचुनाव में कुल 89,865 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
नेकां ने कहा कि वह विजय पर खुशी नहीं मनाएगी, क्योंकि नौ अप्रैल को हुए चुनाव में सुरक्षाबलों की गोलियों से आठ लोग मारे गए थे।
जीत के बाद संवाददाताओं से बातचीत में अब्दुल्ला ने भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से राज्य में सत्ताधारी भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार को बर्खास्त करने की अपील की।
फारूक ने संवाददाताओं से कहा कि मैं भारत सरकार तथा राष्ट्रपति से अपील करता हूं कि वे वर्तमान सरकार को तत्काल बर्खास्त करें। राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जाए और राज्यपाल के शासन में ही चुनाव कराए जाएं।
समर्थन के लिए लोगों का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि यह अब तक का सबसे रक्तरंजित चुनाव था। मैं जीत से खुश नहीं हूं। लेकिन परिणाम दर्शाते हैं कि लोग नेकां के पक्ष में हैं।
पार्टी द्वारा जारी एक बयान में प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि मतदान के दिन लोगों की मौत के मद्देनजर, उपचुनाव में हुई जीत पर हम खुशियां नहीं मनाएंगे।
मतदान बीते नौ अप्रैल को हुआ था, जबकि मतगणना शनिवार सुबह आठ बजे शुरू हुई। मतदान के दौरान केवल सात फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
मतदान के दौरान हुई हिंसा के बाद 38 मतदान केंद्रों पर 13 अप्रेल को पुनर्मतदान का आदेश दिया गया था, जिस दौरान मात्र दो फीसदी ही मतदान हुआ। हिंसा में सात लोगों की मौत हुई थी।
कुल नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला तथा नजीर अहमद खान के बीच था। अलगाववादियों ने इस चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था।
जम्मू एवं कश्मीर के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके फारूक अब्दुल्ला (79) तीसरी बार लोकसभा सदस्य बने हैं। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह पीडीपी के तारिक हमीद कर्रा से चुनाव हार गए थे। कर्रा के इस्तीफे के कारण यह सीट खाली हुई थी।