भोपाल। प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण करने वाले दल के साथ मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठक हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष सूखे की भयावह स्थिति है। राज्य सरकार किसानों की हरसंभव मदद करने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार से 4498 करोड़ रूपये की सहायता का आग्रह किया गया है। दल अपनी रिपोर्ट शीघ्र केन्द्र सरकार को सौंपे, जिससे मदद मिल सके।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष कुछ जिलों में एकाएक अति वर्षा तथा कुछ जिलों में बहुत कम बारिश और वर्षा में काफी अंतराल होने से सूखे की विचित्र स्थिति बनी है। साथ ही यलोमोजेक रोग से सोयाबीन की फसल खराब हुई है। इससे पैदावार बहुत कम हुई है। प्रदेश के 33 हजार गाँवों की लगभग 44 लाख हेक्टेयर फसल को क्षति हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा किसानों के ऋण एवं बिजली बिल वसूली स्थगित कर दी गई है। उन्हें एक रूपया किलोग्राम गेहूँ, चावल एवं नमक तथा बेटी के विवाह में मदद का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार द्वारा अन्य मदों के बजट में 15 प्रतिशत कटौती कर किसानों की मदद की जा रही है।
चौहान ने कहा कि सूखे की स्थिति से मैं चिंतित हूँ लेकिन किसानों की मदद के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूँ। इसमें केन्द्र सरकार की मदद चाहिए। इसके लिए मेमोरण्डम भेजा गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय दल शीघ्र अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपे।
मुख्यमंत्री ने नाबार्ड द्वारा पूर्व की भांति पुनर्वित्तीय प्रणाली अपनाने का भी आग्रह किया। साथ ही प्रदेश में गेहूँ उपार्जन और भुगतान किसानों के बैंक खातों के माध्यम से करने की व्यवस्था भी बतायी। उन्होंने फसल बीमा की न्यूनतम राशि निर्धारित करने का सुझाव भी दिया। साथ ही सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ दी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने बताया कि प्रदेश में फसल कटाई प्रयोग 89 हजार होने हैं जिनमें 84 हजार हो चुके हैं। धान के 26 हजार में से 23 हजार फसल कटाई प्रयोग हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार से 3428 करोड़ रूपए इनपुट सब्सिडी में, 300 करोड़ पेयजल और 770 करोड़ रूपए ब्याज प्रतिपूर्ति के लिए राशि की मांग की गई है। इसके अलावा मनरेगा तथा फसल बीमा की केन्द्रांश राशि का भी आग्रह किया गया है।
केन्द्रीय दल के प्रभारी, संयुक्त सचिव कृषि मंत्रालय अमिताभ गौतम ने बताया कि तीन दल ने प्रदेश के दस जिलों का भ्रमण किया है। इनमें रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सागर, पन्ना, दमोह एवं कटनी शामिल है। भ्रमण के दौरान किसानों से चर्चा की एवं फसल क्षति देखी।
सूखे से सोयाबीन, उड़द, मूंग और धान की फसलों को क्षति हुई है। साथ ही जलाशयों में पानी कम है, जिससे भविष्य में पेयजल एवं चारे की समस्या पैदा हो सकती है। दल ने फसलों में विविधता लाने, फसल चक्र अपनाने तथा आगामी खरीफ के बीज आदि की कार्य-योजना बनाने का भी सुझाव दिया।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त पी.सी. मीना, अपर सचिव वित्त ए.पी. श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव राजस्व के.के. सिंह, प्रमुख सचिव कृषि विकास एवं किसान-कल्याण डॉ. राजेश राजौरा एवं अन्य विभागों के अधिकारी तथा केन्द्रीय दल के सदस्य मनोज तिवारी, डॉ. ए.के. तिवारी, ए.के. श्रीवास्तव, ए.एस. परमार, विवेक कुमार, डॉ. यू. सारंगी, डॉ. आर.जी. बेम्बल, एम. चौधरी आदि अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव से केन्द्रीय अध्ययन दल की भेंट
वहीं, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा से मंत्रालय में नई दिल्ली से मध्यप्रदेश के सूखा प्रभावित इलाकों को देखने आये अंतर्विभागीय केंद्रीय दल ने भेंट की। दल प्रमुख अमिताभ गौतम ने मुख्य सचिव को अपने तीन दिवसीय दौरे का ब्यौरा दिया। इस अवसर पर संबंधित अधिकारी मौजूद थे। दल ने बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से विस्तार से चर्चा की।