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मंत्री की ऐसी भद शायद ही पिटी हो - Sabguru News
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मंत्री की ऐसी भद शायद ही पिटी हो

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मंत्री की ऐसी भद शायद ही पिटी हो

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सिरोही। सिरोही में गोपालन राज्य मंत्री ओटाराम देवासी की जो भद पिटी है, शायद ही वह कहीं और पिटी हो। अपने दोहरे मापदण्डों के कारण वे खुद की विधानसभा की दोनों पंचायत समितियों में भाजपा को काबिज नहीं करवा पाए। इससे बेहतर स्थिति में पिण्डवाडा-आबू के विधायक समाराम गरासिया रहे जो बहुमत पाने के बाद कम से कम भाजपा के प्रधान तो बना पाए।
गोपालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी सिरोही विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, पंचायत राज चुनाव के लिए जिले के प्रभारी के साथ-साथ जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, लेकिन पंचायतराज चुनावों में जिस तरह का प्रदर्शन उनका रहा उससे यही प्रतीत हो रहा है कि वे जिले में भाजपा को चरम में पहुंचाने की कोई खासियत नहीं रखते। शिवगंज पंचायत समिति में वो भाजपा को बहुमत नही दिला पाए, जबकि इसी इलाके से विधानसभा और लोकसभा में भाजपा को भारी बढत मिली थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सिरोही पंचायत समिति में प्रधान पद के लिए खडे हुए निर्दलीय उम्मीदवार प्रज्ञा कंवर के समर्थक भाजपा के सदस्य पंचायत समिति के पास के ही एक होटल में रुके हुए थे, मंत्री को सूचना मिली तो वह उनसे वहां मिले भी। लेकिन, वे उनमे विश्वास नहीं जगा पाये। मायूस होकर उन्हें वहां से लौटना पडा।
कुछ ऐसी ही स्थिति रेवदर विधायक जगसीराम कोली की रही। पार्टी सूत्रों की मानें तो सांसद देवजी पटेल उनसे भी खींचतान की स्थिति में दिखे। ऐसे में भीतरघात में कांग्रेस ने कथित रूप से सांसद देवजी पटेल के करीबी माने जाने वाले भाजपा के बागी पूंजाराम को अपने सहयोग से रेवदर का प्रधान बना दिया। यहां पर भी भाजपा को अप्रत्याशित बहुमत मिला था। सांसद और जिले के विधायकों के बीच का शीतयुद्ध इस चुनाव में बाहर आ गया। जैसा कि पार्टी सूत्र बता रहे हैं, सांसद ने वैसा किया है तो उन्होंने अपने करीबी और भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी के करियर का भी दागी बना दिया है। जिलाध्यक्ष के रूप में लुम्बाराम चैधरी दो सीटों पर बहुमत पाने के बावजूद अपना प्रधान नहीं बना पाए तो इसकी विफलता का ठीकरा उन पर भी फूटेगा। इतना ही नहीं अपने गृह क्षेत्र से अपने पुत्र को वे जिला परिषद सदस्य के रूप में जिता कर ले आए, लेकिन उसी क्षेत्र से भाजपा की वार्ड संख्या 7 की प्रत्याशी को नहीं जिता पाने की विफलता भी उनका पीछा कर रही है। कुल मिलाकर पंचायत समिति चुनावों में सांसद की विधायकों के साथ खींचतान आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों का खाका तैयार कर रही है। प्रधान कम चुनावों में भाजपा कांग्रेस की बजाय खुदसे ज्यादा लडती दिखाई दी। वैसे रेवदर पंचायत चुनाव के भाजपा के स्थानीय प्रभारी  भी इसके लिये कोई कम दोषी नजर नहीं आते।

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