नई दिल्ली। संघीय ढ़ांचे को सुदृढ़ करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि मौजूदा योजना आयोग के स्थान पर बनने वाले नई संस्था में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उपर से नीचे और नीचे से उपर तक योजना नीति की प्रक्रिया में परिवर्तन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि राज्यों के विकास के बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के ढ़ांचे पर चर्चा करने के लिये मुख्यमंत्रियों की बुलाई गई बैठक में मोदी ने उक्त अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरूण जेटली के अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए, लेकिन मिजोरम और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस बैठक में भाग लेने के लिए अपने वित्त मंत्री को भेजा।
जम्मू और कश्मीर तथा झारखंड में विधानसभा चुनाव को देखते हुए वहां के अधिकारियों ने भाग लिया। मोदी ने कहा कि योजना आयोग की प्रतिस्थापना टीम इंडिया के आधार पर होनी चाहिए। मोदी के अनुसार यह तीन टीम का एक मिश्रण होगा जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रिपरिषद और केन्द्र और राज्यों के नौकरशाह शामिल होगें।
नई संस्था में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि कभी कभार राज्य महसूस करते है कि उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए कोई मंच नहीं है। अंतरराज्यीय विवादों को हल करने के वास्ते एक प्रभावी तंत्र होना चाहिए।
उन्होंने चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कहा, क्या हम ऐसा तंत्र विकसित नहीं कर सकते जो भारत को मजबूत, राज्यों को सशक्त और सरकार के बाहर होने वाली सभी आर्थिक गतिविधियों को शामिल करता है। बाद में प्रधानमंत्री ने बैठक को फलदाई बताया और कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की टिप्पणियों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि डॉ सिंह ने स्वयं कहा था कि योजना आयोग में आर्थिक सुधार अवधि के बाद कोई भावी दृष्टिकोण नहीं है। डॉ सिंह काफी लंबे अर्से तक योजना आयोग से जुडे हुए थे।
मोदी ने बताया कि डॉ सिंह चाहते थे कि योजना आयोग मौजूदा स्थिति में अधिक प्रभावी और प्रासंगिक हो। सहकारी संघीय की भावना का आहवान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मौजूद वैश्विक परिदृश्य भारत को आगे बढ़ने का एक मौका दे रहा है।
उन्होंने कहा कि यह जब ही संभव है जब आयोग के स्थान पर एक नई संस्था बने जो भारत को मजबूत बनाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दशक से अधिक समय से योजना आयोग की भूमिका, प्रासंगिकता और पुनर्निर्माण पर सवालिया निशान लगते रहे है।
उन्होंने कहा कि 1992 में आर्थिक सुधार की शुरूआत होने बाद पहला आत्मनिरीक्षण किया गया था। उस वक्त महसूस किया गया था कि सरकार की परिवर्तित नीति को देखते हुए एक अलग दृष्टिकोण की जरूरत है। यहां तक संसदीय सलाहकार समिति ने भी योजना आयोग के बारे में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
इसके स्थान पर नई संस्था की जरूरत है। मोदी ने कहा कि अब सभी के लिए विकास प्राथमिकता का विषय है। अब विकास और वृ़िद्ध को हासिल करने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने का अवसर आ गया है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि अमेरिका जैसे देश में थिंक टेंक समझते है कि नीति निर्माण में सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिये। उन्होंने कहा कि भारत में भी सरकार के बाहर बड़े पैमाने पर अर्थिक गतिविधियां चल रही है और उनके लिये नीतियों के निर्माण की आवश्यकता है। मोदी ने आगे कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों द्वारा दिये गये सुझाव योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था का ढ़ांचा तैयार करने में मददगार होगें।
योजना तैयार करने में राज्यों को मिलें और अधिकारः मुख्यमंत्रियों का आग्रह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाए गए मुख्यमंत्री सम्मलेन में अधिकतर मुख्यमंत्रियों ने योजना आयोग के स्थान पर ऐसे नए ढांचे के गठन का समर्थन किया जिसमें राज्यों की ज्यादा सहभागिता हो। सम्मलेन के बाद विचार विमर्श के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जैटली ने बताया कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि नए ढांचे में केंद्र के साथ साथ राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिले ।
कांग्रेस शासित केरल और अरूणाचल के मुख्यमंत्रियो ओमान चांडी और नवाम तुकी तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योजना आयोग के स्थान पर नए ढाँचे के गठन पर आपत्ति व्यक्त की । सम्मेलन में मोदी ने कहाकि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनका केंद्र सरकार और योजना आयोग से सबका पढता रहा है इसलिए वह मुख्यमंत्रियों की कठिनाइयों को अच्छी तरह समझते हैं। वह मुख्यमंत्रियों के रुख से आम रूप से सहमत हैं। मोदी ने वह भी कहाकि योजना का निरूपण ऊपर ने नीचे नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर होना चाहिए।
योजना आयोग पर बैठक में 3 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं
योजना आयोग के बदले दूसरी संस्था के गठन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई देश के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक मे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत 3 राज्यों के मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे हैं। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला भी बैठक में शिरकत करने नहीं पहुंचे।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता की जगह राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा पहुंचे। बैठक में गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, ओडिशा समेत कई राज्यों के सीएम पहुंचे। ममता बनर्जी के बैठक में नहीं आने को लेकर पहले से ही चर्चाएं थीं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने दूसरे गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों से संपर्क साधा है कि वे योजना आयोग को खत्म करने के प्रस्ताव का विरोध करें। कांग्रेसी सीएम इसे जानबूझकर कांग्रेस विरासत को खत्म करने का कदम बता सकती है। कांग्रेसी मुख्यमंत्री के साथ बिहार और पश्चिम बंगाल की सरकार साथ दे सकती है। अनाज की खरीद मूल्यों का मामला भी सीएम उठा सकते हैं। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के सीएम भी नाराज चल रहे हैं
कुछ सीएम अपने-अपने राज्यों के बने केंद्रीय मंत्रियों के बर्ताव की शिकायत करने वाले हैं कि वह राजनीतिक टकराव का रास्ता अपना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सीएम के साथ इस मीटिंग को दो सत्र में रखा है। पहली मीटिंग सभी सीएम के साथ अकेले होगी। यह दस मिनट प्रति सीएम रखा गया है। इसमें मोदी योजना आयोग पर उनके विचार सुनेंगे और अपनी बात कहेंगे। दूसरा सेशन तीन घंटे का होगा जिसमें एक तरह से खुला सत्र होगा। इसमें सभी सीएम दूसरे मुद्दों को भी उठा सकते हैं।
हाल के दिनों में ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के रिश्ते बेहद तल्ख हुए हैं। बर्द्धवान ब्लास्ट के नाम पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच गंभीर टकराव हो रहे हैं। वैसे भी पीएम बनने के बाद मोदी और ममता बनर्जी आपस में अब तक एक मंच पर नहीं आए हैं। ऐसे में ममता बनर्जी ने कड़वाहट भरे माहौल में मीटिंग से अलग रहना ही ठीक समझा। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने योजना आयोग की बैठक में भाग लेते हुए महसूस किया था कि राज्यों के विचारों को समाहित करने के लिए बेहतर मंच की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास अब हर किसी की प्राथमिकता है तथा आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए नई व्यवस्था विकसित करने का समय आ गया है। सहकारिता संघ की भावना पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य भारत के लिए लंबी छलांग लगाने का अवसर देता है। मोदी ने वृद्धि संबंधी सोच त्यागने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने योजना आयोग के स्थान पर उपयुक्त संस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि देश की ताकत का उपयुक्त ढंग से लाभ उठाया जा सके ।
अपने समापन सम्बोधन में मोदी ने सम्मलेन के विचार विमर्श पर संतोष व्यक्त किया तथा नए ढांचे के निरूपण की दिशा में आगे बढ़ने की आशा व्यक्त की । सम्मलेन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल नहीं हुईं हालाँकि उन्होंने उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे गए एक पत्र में राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाने का आग्रह किया । ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सम्मलेन में विचार व्यक्त कियाकि वह केंद्र सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं। उन्होंने देश में सहयोग परक संघात्मक व्यवस्था का समर्थन किया। श्री पटनायक ने कहकि राज्यों की इस बात की छूट दी जानी चाहिए कि वह स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनी योजना तैयार करें।उन्होंने राज्यों के बीच संसाधनों के बेमेल बँटबारे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहाकि इससे क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहकि सभी राज्यों के लिए एक जैसी योजना नीति नहीं होनी चाहिए तथा विभिन्न राज्यों को अपनी जरूरतों के अनुसार योजना बनाने की छूट होनी चाहिए। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार की पहल के प्रति पूरा समर्थन व्यक्त किया।