कोलकाता। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बिल संसद के मानसून अधिवेशन में पारित कराने को लेकर केन्द्र सरकार संविधान संशोधन करेगी। राज्यों में कर तय किए जाने को लेकर संविधान संशोधन किया जाना जरुरी है।
संसद की शीतकालीन अधिवेशन में जीएसटी को पास कराना केन्द्र सरकार चाहती है। जीएसटी पर सहमति बन गई है। उक्त बातें मंगलवार को कोलकाता में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी पर विचार करने के लिए राज्यों के वित मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में कही।
बैठक में वित्त मंत्री ने जीएसटी बिल पर कांग्रेस का यह दावा कि विनिर्माता राज्यों को जीएसटी में किसी प्रकार की राजस्व हानि की भरपाई करने के लिए प्रस्तावित एक प्रतिशत कर के प्रावधान को खत्म किया जाए को खारिज किया।
उन्होंने बैठक में कहा कि इस बिल को संसद में पास होने पर जीएसटी काउंसिल टैक्स की वृद्धि व ह्रास तय करेगा। अन्य किसी भी तरीके से उसपर नियंत्रण लगाने की कोशिश करने पर संविधान संशोधन करना पडेगा। बैठक में 22 राज्यों के वित्त मंत्री व आर्थिक सलाहकार उपस्थित थे।
बैठक की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री तथा जीएसटी के चेयरमैन अमित मित्रा ने की। बैठक समाप्त होने के बाद अमित मित्र ने पत्रकारों से कहा कि ममता बनर्जी सरकार जीएसटी बिल का पूरा समर्थन करती है।
जब वे यह बात कह रहे थे उनके समीप खडे अरुण जेटली ने कहा कि अगले माह वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम के नेतृत्व में फिर एक बैठक होगी। बैठक में निम्न प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी-
जीएसटी लागू होने पर राज्य को नुकसान न उठाना पडे, इस वजह से पांच वर्षों तक केन्द्र राज्य को सहायता देगी। अंतर्राज्यीय वस्तु व सेवा कर मामले में उत्पादक राज्य अतिरिक्त 1 प्रतिशत कर अदायगी कर सके। इसके अलावा जीएसटी से संबंधित अन्य विषयों पर भी बैठक में चर्चा होगी।