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sting: abortion pills easilly available in sirohi only in rs 500
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स्टिंग: सिर्फ पांच सौ रुपये दो और भ्रूण हत्या कीे गोली लो

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स्टिंग: सिर्फ पांच सौ रुपये दो और भ्रूण हत्या कीे गोली लो
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सबगुरु न्यूज-सिरोही।  जिले में मा़त्र पांच सौ रुपये खर्च करने पर अवैधानिक तरीके से भ्रूण हत्या या गर्भपात करने की गोलियां उपलब्ध हो जा रही हैं। सरकार और कानून की नजर में भले ही इस तरह की गोलियों को बेचना गैर कानूनी हो, लेकिन जिले में यह काम बेझिझक किया जा रहा है। स्टिंग आॅपरेशन में गर्भपात के लिए मीफेप्रिस्टोन और मीसोप्रोस्टल टेबलेट की खुलेआम पांच सौ रुपये में बिक्री सामने आई है।
इनमें एमटीपी (मेडीकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेन्सी) एक्ट और रूल की कहीं पालना नहीं हो रही है। सिरोही में इस स्टिंग ऑपरेशन में चिकित्सा विभाग के कार्मिक ही इस धंधे में लिप्त मिले। विडम्बना यह थी कि जो लोग इस गोरखधंधे में लगे हैं वह मेडीकल प्रेक्टिशनर नहीं है, इसके बावजूद न सिर्फ प्रेक्टिस कर रहे हैं अपितु गर्भपात करने की दवाएं भी बेच रहे हैं।

इस स्टिंग में यह पूरा मामला सामने आया है, जिसमें पांच सौ रुपये में गर्भपात करने वाली गोली दी और बाकायदा उसे लेने का तरीका बताया। इतना ही नहीं दवा लेने पर ज्यादा ब्लीडिंग होने पर महिला को चेकअप करने के लिए भी लाने को कहा गया। इस तरह अवैध रूप से गर्भपात करने की गोलियां बेचने पर सात साल की सजा का प्रावधान भी है।

-बना रखा है एमटीपी एक्ट और रूल पर पालना नहीं
मेडीकल टर्मीनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट भारत में बच्चे के पैदा होने का अधिकार देता है। हाल ही में इसे लेकर सख्ती इस कारण भी आई कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लोग भ्रूण की लिंग जांच करवाते थे और गर्भपात की दवाओं के माध्यम से गर्भपात करवाते थे।

ऐसे में एमटीपी एक्ट को और भी सख्ती से लागू करते हुए इसे साधारण मेडीकल स्टोर्स पर भी चिकित्सकों की देखरेख और प्रिस्कीप्शन पर ही बेचने के नियम का सख्ती से पालन किया गया। इसके लिए मेडीकल स्टोर्स ओर एमटीपी के लिए रजिस्टर्ड चिकित्सालय को एक निर्धारित फॉर्मेट वाले रजिस्टर को मेंटेन करना होता है।

मेडीकल स्टोर्स को इस रजिस्टर की जांच हर महीने चिकित्सा विभाग को और चिकित्सालयों को इसकी रिपोर्ट सीएमएचओ और राज्य सरकार को करनी होती है।
-तय गाइडलाइन के तहत गायनोकोलाॅजिस्ट ही कर सकते हैं यह काम
एमटीपी रूल के तहत गायनोकोलॉजिस्ट ही चिकित्सालय में गर्भपात करवाने के लिए सिफारिश कर सकते हैं। इसके लिए भी कम से कम दो गायनोकॉलोजिस्ट की रिपोर्ट होनी चाहिए, जिसमें भ्रूण ठहरने का निर्धारित समय, गर्भपात करने के कारण व आवश्यकता आदि का उल्लेख करना होता है।

वैसे यह अधिकार महिला को है कि वह बच्चे को जन्म दे या नहीं दे, लेकिन यदि किसी महिला को गर्भपात करवाना होता है तो उसकी एमटीपी एक्ट और रूल के तहत निरंतर एमटीपी करने वाले गायनोकॉलोजिस्ट के द्वारा फॉलोअप लिया जाता है। लेकिन सिरोही में किए गए स्टिंग में यह सामने आया कि गर्भपात करने वाली गोलियों के माध्यम से बिना गायनोकॉलोजिस्ट की एडवाइज और फॉलोअप के गर्भपात की गोलियां दी जा रही हैं।

-राजस्थान में पीएचसी हैं पंजीकृत
एमटीपी एक्ट के तहत राजस्थान में बनाए गए एमटीपी रूल में हर पीएचसी, सीएचसी, जिला चिकित्सालय और सरकारी चिकित्सालय एमटीपी के लिए रजिस्टर्ड और अधिकृत हैं। वहीं यदि कोई निजी चिकित्सालय एमटीपी करना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसके लिए सरकारी और निजी चिकित्सालयों को एमटीपी एक्ट की पालना करनी जरूरी होती है।

जिस तरह पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत सरकारी और निजी चिकित्सालयों के लिए फॉर्म-एफ और रजिस्टर एंट्री करनी आवश्यक होती है ठीक उसी तरह एमटीपी एक्ट के तहत निर्धारित फॉर्मेट और रजिस्टर भरने होते हैं। इसकी भी प्रतिमाह अधिकृत एजेंसी को रिपोर्ट भेजनी होती है।

-इनका कहना हैं….

यह गैर कानूनी है, इसकी जानकारी मिल गई है तो निरीक्षण करवाकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उपखण्ड अधिकारी को निर्देश दिए जाएंगे।
लक्ष्मीनारायण मीना
जिला कलक्टर, सिरोही।