नई दिल्ली। यदि आपके घर में दीवाली के उपहारों की भरमार हो गई है जिनकी कोई जरूरत नहीं है तथा आप सोच रहे हैं कि इनका क्या किया जाए तो आपके लिए थोड़ी तसल्ली की बात है कि देश में ऎसी समस्याओं से जूझने वाले आप अकेले नहीं बल्कि आप जैसे कई अन्य लोग भी हैं।
देश के 16 प्रमुख शहरों में किए गए इस सर्वेक्षण में 5300 लोगों ने भाग लिया। इसमें शामिल 20 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे इन अनाश्वयक तोहफों को दोबारा उपहार में दे देते हैं जबकि नौ प्रतिशत ने बताया कि वे इन्हें धर्मार्थ संगठनों को दान में देते हैं। तीन प्रतिशत ने पसंद न आने वाले उपहारों को बेचने की बात कही है तथा मात्र एक प्रतिशत ने कहा कि वे उन्हें फेंक देते हैं।
सर्वेक्षण में खुलासा किया गया है कि शहरी घारों में करीब 3.6 करोड़ रूपए मूल्य के अनावयक उपहार बेकार पडे हुए हैं। शहरी क्षेत्रों में मिलने वाले छह में से एक उपहार ऎसा होता है जो किसी काम का नहीं होता है।
उपयोग किए गए समानो का ऑनलाइन विक्रय सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी ओएलएक्स और शोध एवं सलाह सेवा देने वाली कंपनी आई एमआरबी इंटरनेशनल की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।