मुंबई। महंगाई पर लगाम के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दावे के बावजूद लोकप्रिय दक्षिण भारतीय व्यंजन डोसा इतना महंगा क्यों..?
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने इसका ठीकरा डोसे के तवे और दोसा बनाने वाले पर फोडते हुए कहा है कि वास्तव में डोसा बनाने की प्रौद्योगिकी नहीं बदली है। राजन का कहना है कि तवे की तकनीक परंपरागत बनी हुई और तवे पर हाथ फेरने वाले कारीगर की मजदूरी बढ़ गई है।
राजन ने कहा कि वास्तव में डोसा बनाने की प्रौद्योगिकी नहीं बदली है। जानते हैं, आज भी व्यक्ति इसे (चावल का घोल ) तवे पर डालता है, फैलाता है और उस पर मसाला डालकर तैयार कर उसे रखता है। इस काम में कोई प्रौद्योगिकी सुधार नहीं हुआ है है।
हालांकि, डोसा बनाने वाले व्यक्ति की पगार विशेषकर केरल जैसे राज्य में लगतार उंची होती जा रही है। आरबीआई गवर्नर फेडरल बैंक के एक कार्यक्रम में इंजीनियरिंग की एक छात्रा के एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
छात्रा ने पूछा था कि असल जीवन में, डोसा की कीमतों पर मेरा एक सवाल है। जब मुद्रास्फीति बढती है तो डोसा के दाम भी बढते हैं, लेकिन जब मुद्रास्फीति नीचे आती है तो डोसा की कीमत नीचे नहीं आती। तो हमारे प्रिय व्यंजन डोसा के साथ ऐसा क्यूं होता है?
राजन ने अपने जवाब में आगे कहा कि कामगारों का उपयोग कई ऐसे उत्पादक क्षेत्रों में किया जा सकता है, जहां उत्पादकता काफी बढी है जैसे फैक्टरी का काम, बैंकिंग आदि। यहां वहीं बैंक लिपिक प्रौद्योगिकी की वजह से कहीं ज्यादा लोगों को सेवाएं दे पा रहा है।