शिवगंज। शहर के आदर्श नगर सोसायटी में निवास करने वाला काश्तकार डायाराम के सोलह वर्षीय पुत्र मांगीलाल 11वीं के इम्तिहान में फेल होने से इतना निराश हो गया कि उसने अपना जीवन समाप्त करने की ठान ली।
वह अपनी जिंदगी खत्म करने के इरादे से घर से निकाला और फतापुरा गांव के एक कुंए जहां उसके पिता पहले काम किया करते थे में छलांग लगा दी। पहले उसकी किस्मत, बाद में मौत भी उसे दगा दे गई और वह पानी में गिरने के बजाय बीच में ही एक स्थान पर अटक गया।
तीन दिन तक भूखा प्यासा रहने के बाद वहां से गुजर रहे एक चरवाहे ने उसके कराहने की आवाज सुनी तब कही उसे बाहर निकाला जा सका। दरअसल मूल रूप से पाली जिले के फतापुरा गांव में निवास करने वाले डायालाल मेघवाल पहले इसी गांव में काश्तकारी का कार्य किया करते थे।
बाद में वे शिवगंज के आदर्श नगर सोसायटी में निवास करने आ गए। इस दौरान उनका पुत्र मांगीलाल मेघवाल सुमेरपुर के राजकीय सीनीयर माध्यमिक विद्यालय में अध्ययन करने लगा। लेकिन परीक्षा में उसकी किस्मत से साथ नहीं दिया और फेल हो गया।
परीक्षा में फेल होने पर मांगीलाल इस कदर निराश हो गया कि उसने अपना जीवन समाप्त करने की ठान ली और 29 जून को अपने घर से यह करते हुए निकल गया कि वह टीसी लेने जा रहा है। परिजन करते रहे इंतजार टीसी लेने का कहकर निकले मांगीलाल के परिजन उसके घर पर लौटने का इंतजार करते जब शाम ढलने लगी तो उनके माथे पर चिंता की लकीरे भी तेजी से उभरने लगी।
वे उसे संभावित स्थानों पर ढूंढने के लिए निकल पड़े। काफी प्रयासों के बाद भी जब वह नहीं मिला तो परिजनों ने 1 जुलाई को पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज है। परिजन करते रहे इंतजार टीसी लेने का कहकर निकले मांगीलाल के परिजन उसके घर पर लौटने का इंतजार करते जब शाम ढलने लगी तो उनके माथे पर चिंता की लकीरे भी तेजी से उभरने लगी।
वे उसे संभावित स्थानों पर ढूंढने के लिए निकल पड़े। काफी प्रयासों के बाद भी जब वह नहीं मिला तो परिजनों ने 1 जुलाई को पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवा दी। लगा दी कुएं में छलांग अपने विद्यालय में टीसी लेने जाने के बजाय मांगीलाल अपना जीवन खत्म करने की ठान फतापुरा चला गया और उसी कुंए पर पहुंच गया जहां उसके पिता पहले काश्तकारी का कार्य किया करते थे।
मौत को गले लगाने के इरादे से उसने कुंए में छलांग लगा दी, लेकिन वह पानी में गिरने के बजाय बीच में ही एक स्थान पर गिर पड़ा। उसके बाद उसे मौत का भय सता गया और वहीं दुबक कर बैठ गया। तीन दिन तक बैठा रहा भूखा प्यासा सूनसान क्षेत्र में स्थित कुंए में मांगीलाल तीन दिन तक भूखा और प्यासा बैठा रहा।
इस दौरान वह चिल्लाया भी लेकिन उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। भूख और प्यास के मारे बूरा हाल हो चुके मांगीलाल को लगा कि अब उसे मौत आ जाएगी। यह सोच वह रोने लगा। इस बीच वहां से गुजर रहे एक चरवाहे को कुंए के भीतर से आवाज आने पर उसने उसमें झांक कर देखा तो उसे कुंए के एक कोने में एक लडका बैठा दिखा।
पगडी के सहारे उतारी बोतल प्यास के मारे बुरा हाल हो रहे मांगीलाल ने जब चरवाहे से पहले पानी पिलाने का आग्रह किया तो चरवाहे ने अपनी पगडी के सहारे बोतल को कुंए में उतारा और उसे पानी पिलाया। बाद में इसकी सूचना ग्रामीणों को दी।
चारपाई के सहारे निकाला बाहर सूचना मिलने पर ग्रामीण एवं पुलिस फतापुरा गांव पहुंचे तथा ग्रामीणों ने कुंए में चारपाई उतार कर मांगीलाल को बामुश्किल सुरक्षित बाहर निकाला। ग्रामीणों ने बताया कि एक बार मोटर ठीक करते समय मांगीलाल का पिता भी इसी कुंए में गिर चुका है। वो भी उस हादसे में बच गया था।