केप कैनावरल/फ्लोरिडा। धरती पर सागरों में और पुच्छल तारों तथा चंद्रमा के बड़े बडे गढ्ढों में जमी बर्फ में मौजूद पानी संभवत सौर मंडल की उत्पत्ति से पहले ही अस्तित्व में आ चुका था। अन्य ग्रहों में जीवन की तलाश कर रहे वैज्ञानिकों के एक ताजाशोध में इस बात का खुलासा किया गया है।…
वैज्ञानिकों में अब तक इस बात को लेकर वर्षो से विवाद था कि आखिर पानी ब्रह्मांड में कब से मौजूद है। वह यह पता लगाने में जुटे थे कि कहीं सौरमंडल के अस्तित्व में आने की प्रक्रिया के दौरान तो इसका जन्म नहीं हुआ या फिर कही यह निहारिकाओं मे घुमड़ते अति शीतल बादलों के पुंज से तो नहीं बना जहां से हमारें सूर्य का जन्म हुआ है।
कई शेाध और प्रमाण जुटाने के बाद आखिरकार वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पानी संभवत धरती और सूरज के बनने से पहले ही अस्तित्व में आ चुका था। यह शोध रिपोर्ट वैज्ञानिक पत्रिका साइंस जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है।
अमरीका के मिशिगन विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिकों के दल की मुखिया लारेन क्लीव्स के अनुसार सौरमंडल की उत्पत्ति की आरंभिक स्थितियां ऎसी नहीं थी जिनमें जल के कण निर्मित हो सकें। ऎसे में निहारिकों में मौजूद अतिशीतल बादलों के पुंज से ही पानी के निकलने की संभावना ज्यादा दिखाई देती है।
खोज के लिए वैज्ञानिकों के पास सौरमंडल की उत्पत्ति के पहले बने धूल भरे बादलों के चक्राकार परिपथ का अध्ययन करने की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि वह प्रक्रिया सौरमंडल के बनने के साथ ही खत्म हो चुकी थी ऎसे में शोधकर्मियों ने अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के ऎसी शुरूआती प्रक्रिया का अध्ययन करना शुरू किया और पाया कि इस प्रक्रिया में कहीं भी पानी के कण निर्मित होने के लिए जरूरी रासायनिक गतिविधियां मौजूद नहीं हैं।
तमाम खगोलीय प्रक्रियाओं के गहन अध्ययन के बाद आखिर यह निष्कर्ष निकाला गया कि पानी सूर्य और सौर मंडल के अस्तित्व में आने से पहले ही ब्रह्मांड में मौजूद था। निहारिकाओं के बादलो में पानी के बनने के लिए आवश्यक आई सी थ्री एच 7 सीएन नाम के अणु पाए गए। इसकी खोज निहारिकों के सैजिटेरियस 2 नामके धूल भरे बादलों में की गई। यह स्थान आकाश गंगा में तारों की उत्पत्ति का अबतक का ज्ञात सबसे बड़ा उद्भव स्थल है।