नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की गवाहों की सूची और अन्य साक्ष्यों को मंजूर कर लिया।
पिछले साल 26 दिसम्बर को सुनवाई के दौरान स्वामी ने कहा था कि वे कुछ गवाहों की सूची देना चाहेंगे जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था और गुरुवार तक सूची सौंपने का समय दिया था। मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्वामी की इस दलील को खारिज कर दिया था कि कांग्रेस पार्टी और एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के खाते और दस्तावेज मांगे जाएं।
आपको बता दें कि एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपए की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसके बाद 5 लाख रुपए से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास है।
इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर नई बनाई कंपनी यंग इंडियन को दे दिए गए। इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया।
यानी यंग इंडियन को एजेएल का स्वामित्व मिल गया। सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अपनी याचिका में स्वामी ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी।
इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जबकि गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है। जिन दस्तावेजों की स्वामी मांग कर रहे हैं वह कांग्रेस पार्टी और एजेएल के गोपनीय दस्तावेज हैं। यह दस्तावेज स्वामी को नहीं दिए जाने चाहिए।