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घाटे में स्टेशन बंद, लोगों ने रेवेन्यू दिया, ट्रेन रूकवाई - Sabguru News
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घाटे में स्टेशन बंद, लोगों ने रेवेन्यू दिया, ट्रेन रूकवाई

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घाटे में स्टेशन बंद, लोगों ने रेवेन्यू दिया, ट्रेन रूकवाई
success story of Rasidpura Kudi railway station
success story of Rasidpura Kudi railway station
success story of Rasidpura Kudi railway station

झुंझुनू,। यह जिद और जुनून की दिलचस्प कहानी है। 10 साल पहले रेल्वे ने राजस्थान में सीकर जिले के रसीदपुरा खूड़ी स्टेशन को घाटे में बताकर बंद कर दिया। यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का ठहराव भी बंद हो गया।

एकाएक ऐसा होने पर ग्रामीणों ने रेल रुकवाने के लिए आग्रह किया, लेकिन अफसरों ने नहीं सुना। इस स्टेशन से जुड़े चार गांवों के लोगों ने अफसरों के इनकार पर हार नहीं मानी और स्टेशन पर ट्रेन रुकवाने का संकल्प लिया।

Rasidpura Khori railway station is run and operated by the villagers
Rasidpura Khori railway station is run and operated by the villagers

रेलवे कम से कम दो सै टिकट का रेवेन्यू तो चाहता ही था। इसे पूरा कैसे किया जाए, यही सबसे बड़ा सवाल था। ग्रामीणों ने एक कमेटी बनाकर यात्रा नहीं करने वाले साथियों तक के टिकट काटे और स्टेशन तो शुरू करवाया, साथ ही रेलवे को मनमाफिक राजस्व भी दिया।

अब हालत यह है कि 2009 में फिर से शुरू हुए इस स्टेशन से अब तक 4 लाख 45 हजार से ज्यादा यात्री सफर कर चुके है।  एक एजेंट रोज सीकर जाकर 300 टिकट खरीदकर लाता है और ग्रामीणों को बेचता है। आज भी स्टेशन पर टिकट वितरण की पूरी जिम्मेदारी ग्रामीण ही संभाल रहे है पर तकनीकी व्यवस्था रेलकर्मी ही संभालते है।

Rasidpura Khori railway station is run and operated by the villagers
Rasidpura Khori railway station is run and operated by the villagers

रेल सलाहकार समिति के सदस्य जगदीश बुरडक़ व पलथाना गांव के रामकरण बुरडक़ बताते है कि उस वक्त ग्रामीणों ने एक कमेटी बनाई और तय किया कि स्टेशन शुरू करवाकर ही रहेंगे। ग्रामीणों ने रेलवे का राजस्व पूरा करने में सहयोग देने की सहमति दे दी।

एक फरवरी 2009 को रेलवे ने यहां ट्रेनों का ठहराव तो शुरू कर दिया, लेकिन स्टेशन पर टिकट स्टाफ नहीं लगाया। आज इस छोटे से स्टेशन पर रोज 300 टिकट कट रहे है। 5 साल में रेलवे को यहां से करीब 25 लाख का राजस्व मिल चुका है।
सुरक्षा व सफाई का जिम्मा भी ग्रामीणों के हवाले है। यहां रेलवे पुलिस का भी कोई जवान तैनात नहीं है। स्टेशन से काफी छात्राएं व महिलाएं सफर करती है। गांव के कुछ प्रमुख लोग समय समय पर यहां आकर सुरक्षा में मदद करते है। रोज चैक करते है कि स्टेशन पर कोई मनचले तो नहीं है। सफाई भी ग्रामीण अपने स्तर पर ही करवाते है।