नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के सौतेले बेटे शिव मेनन ने शनिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय तरीके से हुई मौत के मामले की अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच की मांग की थी।
मेनन ने कहा कि वह बेहद तनाव के दौर से गुजर रहे हैं कि उनकी मां का नाम सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है, जिसके परिणामस्वरूप अफवाहें व अटकलें लगाई जाती हैं, जिससे उन्हें बेहद दुख होता है।
मेनन के वकील तथा वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने न्यायाधीश जी.एस.सिस्तानी से कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत से संबंधित मामले में स्वामी द्वारा याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं बनता। उन्होंने न्यायालय से यह भी कहा कि वह मामले की त्वरित जांच का निर्देश जारी करें।
न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय की। मेनन ने अपनी मां की मौत के मामले में स्वामी द्वारा अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच की याचिका के विरोध में एक याचिका दाखिल कर तर्क दिया कि स्वामी ने यह याचिका केवल मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए दाखिल की।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वामी ने अपनी याचिका की सारी बातें फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर साझा कर दी, और ऐसा याचिका पर सुनवाई से पहले किया गया।
पाहवा ने कहा कि उच्च न्यायालय साल 2015 की शुरुआत में इसी आधार पर एक जनहित याचिका को खारिज कर चुका है, जिसका खुलासा स्वामी ने नहीं किया। न्यायालय ने गुरुवार को स्वामी की याचिका पर पुलिस से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
उल्लेखनीय है कि 17 जनवरी, 2014 को पुष्कर (52) दिल्ली के एक होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं। स्वामी ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि पुष्कर की मौत की जांच को बंद कराने का पहले कई बार प्रयास किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की प्राथमिकी दर्ज करने में लगभग एक वर्ष का वक्त लगा और उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि तीन साल के बाद भी पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है और न ही हिरासत में लेकर किसी से पूछताछ की गई है।
स्वामी ने कहा कि कई सबूत नष्ट कर दिए गए। दिल्ली पुलिस ने इस जांच में लापरवाही के लिए सतर्कता जांच शुरू की है। उन्होंने कहा कि अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि सुनंदा की मौत ‘अस्वाभाविक’ और ‘जहर के कारण’ हुई।
स्वामी ने मामले की समयबद्ध जांच की मांग करते हुए कहा कि मामले में बेहद प्रभावशाली लोग शामिल हैं, जिसके कारण उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं और मामले में पहले ही अनावश्यक विलंब हो चुका है।