लखनऊ। राजस्थान की पुण्य और वीरधरा पर कोटपूटली जनपद में 20 सितम्बर 1969 को जन्म लिए सुनील बंसल यूपी भाजपा के लिए संजीवनी बनेंगे, यह किसी ने सोचा नहीं था।
बाल अवस्था से ही रामचरित मानस के दोहे बोलने वाले बालक सुनील जब 20 वर्ष पुरा किये तो उच्च शिक्षाग्रहण करने के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वे विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव में महामन्त्री का चुनाव लड़े और जीत हुई। उस जीत का सिलसिला कहीं रूका नहीं, बढ़ता ही गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर कबड्डी का खेल खेलते हुए वे छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में अपनी सक्रिय भूमिका बनाई। परिषद के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। उनकी कार्यकौशलता व निपुणता के कारण राष्ट्रीय संगठनमंत्री सुनील अम्बेकर ने उन्हें राष्ट्रीय सह संगठनमंत्री का दायित्व सौंपा।
उत्तर भारत में संगठन के कार्य को मजबूत करने के लिए बंसल का केंद्र दिल्ली बनाया। दिल्ली में संगठन का कार्य खड़ा करना चुनौती से कम नहीं था। दिल्ली विश्वविद्यालय में कांग्रेस के छात्र इकाई के कब्जा से परिषद के कार्यकर्ताओं में निराशा का वातावरण था। संगठन के महारथियों के लिए भी डीयू में भगवा फहराना एक बड़ी चुनौती थी।
परिषद के उस चुनौती को बंसल ने स्वीकार्य किया और उनके नेतृत्व में एक के बाद एक कई छात्रसंघ चुनाव में लगातार विजय दिलवाई। केन्द्र सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जब विद्यार्थी परिषद ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने की योजना बनाई तो उसका भी नेतृत्व बंसल ने ही किया।
पूरे देश में ‘यूथ अगेंस्ट करप्शन’ के बैनर तले विभिन्न प्रकार के हजारों कार्यक्रम हुए। उनके नेतृत्व में दिल्ली से शुरू हुई भ्रष्टाचार की लड़ाई मुम्बई, बैंगलोर, भोपाल, लखनऊ, वाराणसी, पटना, जयपुर, चंडीगढ़ होते हुए पुनः नई दिल्ली आकर समाप्त हुई तो देश की राजधानी में बहुत बड़ा आंदोलन हुआ।
उधर नौजवान सक्रीय भूमिका में ‘वन्देमातरम और भारत माता की जय’ कर रहे थे, इधर सुनील बंसल आंदोलन को जनांदोलन बनाने में लगे रहे। उनकी सक्रियता देखते हुए उन्हें इस कार्यक्रम से 2010 से 2014 तक जोड़े रखा गया।
हिन्दुस्तान के इतिहास में 2014 एक मील का पत्थर बना और भारतीय जनता पार्टी ने सुनील बंसल को यूपी संगठन की जिम्मेदारी दी। इसी वर्ष भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया और सुनील बंसल उनके साथ में सह प्रभारी बनाए गए।
जब उन्होंने एक कुशल सहायक की भूमिका निभाते हुए लोकसभा चुनाव में 71 सीटों पर कमल और दो पर गठबंधन की जीत दिलाकर उत्तर प्रदेश से देश को प्रधानमंत्री दिया। इसके बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने सुनील बंसल पर विश्वास जताकर उन्हें यूपी के संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश संगठन महामंत्री का दायित्व सौंपा।
इस दायित्व के बाद बंसल ने प्रदेश में बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने के लिए कई प्रकार की संगठनात्मक रचना की। बंसल ने यूपी में 2017 में भगवा खिलाने के लिए 2014 में ही योजना बना लिया था। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बंसल ने 2015 तक बूथ स्तर तक संगठन की रचना की।
यूपी की जनता को पार्टी की नीतियों और केन्द्र सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया। युवा सम्मेलन, धम्म चेतना यात्रा, माटी तिलक, महिला सम्मेलन, कमल मेला, पिछड़ा सम्मेलन, परिवर्तन यात्रा, विजय शंखनाद रैली, यूपी के मन की बात, आकांक्षा पेटी, एक बूथ-20 यूथ की रचना समेत कई प्रकार के कार्यक्रम चलाए।
सदस्यता अभियान के जरिये भारतीय जनता पार्टी से 2.5 करोड़ लोगों को पार्टी से जोड़ा गया। संगठन महामन्त्री के नेतृत्व में 16 करोड़ रुपये आजीवन सहयोग निधि के तौर पर जुटाया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का जब 2017 का बिगुल बजा तो एक बार फिर से संगठन के मजबूत कंधे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बागडोर दे दी।
सात चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के लिये प्रत्येक क्षेत्र के लिये अलग-अलग योजनाएं बनायी। सभी छह क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रचना, अलग-अलग मुद्दों की रणनीति बनाई।
चौथे चरण में बुंदेलखण्ड के चुनाव में इलाहाबाद से लेकर झांसी तक नौजवानों, आदिवासियों, दलितों और मुसलमान रणनीतिकारों ने सुनील बंसल से लगातार बातचीत की और इस दौरान उन्होंने समस्त समस्याओं का उपाय निकाला।
पांचवें चरण में अयोध्या क्षेत्र में प्रचार का शोर जोरों पर था, अचानक से भाजपा ने कर्बिस्तान और श्मशान का मुद्दा उठाया। गोरखपुर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख समस्या हिन्दू युवा वाहिनी थी, जिसकी जानकारी पहले से उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री को रही।
युवा वाहिनी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को उन्होंने समझाने का प्रयास शुरू किया और इसमें गोरखपुर के फायर ब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ के साथ भी बैठकों को दौर शुरू हो गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तक इस दौर की बैठकों की जानकारी दी गई। अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं से साथ एक गोपनीय बैठक की।
इसके बाद भाजपा के साथ हिन्दू युवा वाहिनी पूरी तरह से खड़ी हो गई। कुछ वाहिनी नेताओं ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी दिए तो उन्हें योगी आदित्यनाथ ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। छठवें चरण में मुस्लिम बहुल्य इलाकों के लिए प्रधानमंत्री मोदी का विकास माॅडल लेकर चल रही भाजपा ने हिन्दू मतदाताओं से मत देने की अपील की और जिसमें पूरी तरह से मतदान में बदलने में भी पार्टी कार्यकर्ता सफल रहे।
अंतिम चरण में एक संगठनमंत्री के रूप में सुनील बंसल ने अहम रोल अदा किया। काशी क्षेत्र में सात जिलों के चालीस विधानसभाओं को जीतना एक चुनौती थी और वहीं वाराणसी की सीटों पर भी संगठन की पैनी नजर थी। सातवें चरण में प्रचार के दौरान संगठन के अनुरोध पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रचार में आए।
पहले दिन मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दर्शन पूजन का कार्यक्रम किए और दूसरे दिन उन्होंने रोड शो किया। मतगणना के बाद जब भाजपा की झोली में 325 सीटें आईं तो मुख्यमंत्री के लिए संगठककर्ता सुनील बंसल का नाम सामने आना लाजिमी है। अब देखना है कि पार्टी नेतृत्व यूपी की कमान किसको सौंपती है।