सिरोही। आबूरोड के मावल में स्थित भारत पेट्रोलियम कम्पनी के कोको पेट्रोल पम्प पर स्थित डीजल टैंकर को रसद अधिकारी ने जब्त किया है।
इस टैंकर के पांच में से दो चैम्बर्स में प्राथमिक जांच में डीजल के घनत्व में बिल में लिखे गए घनत्व से कुछ अंतर मिला है, इसके अलावा इन दो चैम्बरों का डीजल भी नीले रंग का मिला है। रसद अधिकारी ने इस टैंकर के डीजल का सैम्पल ले लिया है, जिसकी लेबोरेट्री में फोरेंसिक जांच के बाद मिलावट की पूरी तरह से पुष्टि होगी। फिलहाल, डीजल के टैंकर को जब्त करके सदर थाने में रखवा दिया गया है।
एसडीएम की दखल से खुला मामला
मावल स्थित भारत पेट्रोलियम के इस कोको पम्प पर डीजल का यह टैंकर पिछले करीब तीन दिन से खड़ा था। इसे खाली नहीं करवाया गया था। फिर इस टैंकर को लेकर यहां पर भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों की गतिविधि भी बढ़ गई थी।
टैंकर के खाली नहीं करने और डीजल में मिलावट की अपुष्ट सूचना फैली तो मीडियाकर्मी वहां पहुंच गए। वहां पर बीपी के सेल्स मैनेजर विशाल गंजू मौजूद थे। उनसे जब इस मामले में पूछा तो वे बाद में बताने का कहकर पेट्रोल पम्प के चैम्बर में चले गए। वहां से निकले तो मीडियाकर्मियों ने उनसे टैंकर के संबंध में जानकारी चाही, लेकिन कुछ बोले बिना ही वह अपनी गाड़ी में सवार होकर रवाना हो गए।
इस पर मीडियाकर्मियों ने इस संबंध में उपखण्ड अधिकारी अविचल चतुर्वेदी से जानकारी चाही तो उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए जिला रसद अधिकारी गुल मोहम्मद को वहां भेजा। जिला रसद अधिकारी वहां पहुंचे तो उनके पीछे सेल्स मैनेजर विशाल गंजू भी पहुंच गए।
पहले तो वह यह कहकर रसद अधिकारी को टालने की फिराक में रहे कि कम्पनी का मामला है और इसके लिए पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन जब रसद विभाग की टीम ने डीजल टैंकर पर उसके सबचैम्बर नम्बर 4 और 5 में डीजल का रंग नीला देखा तो उन्हें शक हुआ। उन्होंने इस डीजल के पांचों चैम्बरों से सैम्पल निकाला।
इसका डेंसिटी टेस्ट किया तो प्राथमिक जांच में सब चैम्बर संख्या 4 और 5 के डीजल के घनत्व में बिल में दिए गए घनत्व से अंतर मिला। इस पर उन्होंने टैंकर को जब्त कर लिया। इस टैंकर में मिले डीजल के सैम्पल को फोरेंसिक लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजने के लिए पैक कर लिया है। फिलहाल इस संदर्भ में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
आखिर क्यों छिपा रहे थे मामला?
इस पूरे प्रकरण में कम्पनी के अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। इस मामले को दो तीन दिन तक खुलास नहीं करने के पीछे उनका मकसद कम्पनी की साख बचाना था तब भी उन्हें इस मामले में डीजल की फोरेंसिक करवाकर प्रकरण दर्ज करवा देना चाहिए था।
मीडियाकर्मियों के आने पर मामले का खुलासा करने की बजाय मौके से निकल जाना उपभोक्ता अधिकारों के प्रति उनकी गैर जवाबदेही ही दर्शा रहा है। इस मामले में मीडियाकर्मियों की जागरूकता के बाद उपखण्ड अधिकारी दखल नहीं करते तो शायद इस पेट्रोल पम्प पर आने वाले डीजल टैंकरों पर संदेह नहीं गहराता और डीजल में मिलावट होने की सूरत में उपभोक्ता ठगाता रहता।
कथित रूप से कम्पनी के इस पेट्रोल पम्प से आसपास की केबिनों को जा रही बिजली इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यहां जो भी हो रहा है उससे कम्पनी के अधिकारी व कार्मिक अनजान तो नहीं हैं। यहां विजिट करने वाले कम्पनी के अधिकारियों को भी किंकर्तव्यविमूढ़ता और संदेह से परे नहीं रखा जा सकता।
इनका कहना हे…
अभी टैंकर सीज किया है। शीघ्र ही प्रकरण बनाकर जिला कलक्टर के समक्ष पेश किया जाएगा।
अविचल चतुर्वेदी
उपखण्ड अधिकारी, आबूरोड।