नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा एसबीसी आरक्षण को रद्द करने के खिलाफ राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वर्तमान में चल रही भर्तियों और प्रवेश में दिए गए आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार किया गया है। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल शिवमंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार की ओर से कहा कि हाईकोर्ट को रिपोर्ट को रिव्यू करने का अधिकार नहीं है।
ये रिपोर्ट राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने दी थी जिसके आधार पर राजस्थान सरकार ने 5 फीसदी एसबीसी आरक्षण देने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में पचास फीसदी से भी ज्यादा आरक्षण दिया जा सकता है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले साल नौ दिसम्बर को राजस्थान आरक्षण अधिनियम 2015 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों को दिए गए पांच प्रतिशत विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था।
हाईकोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत जाकर एसबीसी को आरक्षण दिया है। ऐसे में आरक्षण की पचास फीसदी सीमा का उल्लंघन नहीं हो सकता और न ही राज्य सरकार द्वारा पचास प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की सीमा का उल्लंघन किया जा सकता है।
राज्य सरकार ने सितम्बर, 2015 में विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया था जिसे राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी थी। इस प्रस्ताव से राजस्थान में इन वर्गो के लोगों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण दिया गया था। लेकिन कुछ वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के प्रावधान का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।