नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का कामकाज देख रही प्रशासकों की समिति से लोढ़ा समिति की सिफारिशों के आधार पर दिए गए अपने निर्देशों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड के नए संविधान का मसौदा तैयार करने की बात कही है।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायाधीश डी.वाय. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा है कि बोर्ड के नए संविधान का मसौदा उसके 18 जुलाई 2016 और 24 जुलाई 2017 को दिए गए आदेश के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें अदालत ने एक राज्य एक वोट, चयनसमिति को मजबूत करने और संबद्ध सदस्यों की स्थिति पर दोबारा विचार करने को कहा था।
अदालत ने आदेश दिया है कि संविधान का मसौदा 30 अगस्त तक तैयार हो जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को रखते हुए अदालत ने कहा कि संविधान के मसौदे की कॉपी बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करने वाली परिषद, सभी राज्य संघों, रेलवे, भारतीय विश्वविद्यालय संघ और अन्य संबंधित लोगों को दी जानी चाहिए।
यह सभी लोढ़ा समिति की सिफारिशों में सुधार चाहते हैं। अदालत ने कहा कि इन लोगों में से किसी को अगर संविधान के मसौदे में कोई परेशानी हो तो वह लिखित में अपनी समस्या बताएं, जिस पर न्यायमित्र इन सभी समस्याओं का चार्ट बनाएंगे और जवाब देंगे।
अदालत ने बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सी.के. खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी से पूछा है कि अभी तक लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू क्यों नहीं किया गया। साथ ही कहा कि कामकाज में टालमटोल किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि बीसीसीआई ने 26 जुलाई को अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के अदालत के आदेश पर कुछ नहीं किया।
उन्होंने अदालत को बताया कि इस बैठक में मौजूद न्यायाधीश सेन ने कहा था कि इस बैठक को देखकर ऐसा लग रहा था कि इसमें लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जाएगा।