नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बदलने के फैसले के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की गई हैं। आज सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने अगले मंगलवार को दोनो याचिकाओं पर सुनवाई की तिथि तय की है। केंद्र सरकार ने भी इन याचिकाओं पर केविएट पिटीशन दायर किया है। केंद्र ने मांग की है कि इन याचिकाओं पर फैसला करने से पहले उनकी बात भी सुनी जाए।
याचिका दो वकीलों ने दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड विवेक नारायण शर्मा और एडवोकेट संगम लाल पांडेय ने अलग-अलग याचिका दायर की है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने संवैधानिक कायदों का उल्लंघन किया है और ये फैसला प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।
याचिका में इन नोटों को बैन करने के पहले आम जनता को पर्याप्त समय दिेए जाने की मांग की गई है। संविधान में दिए गए जीवन के अधिकार और व्यवसाय के अधिकार का इस फैसले से हनन होता है।
विवेक नारायण शर्मा ने कहा है कि ऐसा कर सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 26(2) का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले से आम जनता में भय का वातावरण पैदा हो गया है और हालात आपातकाल जैसे हो गए है। आम जनता को अपनी रोजमर्रा के जीवन में परेशानी हो रही है।
सब्जी खरीदने से लेकर बुजुर्गों को इलाज करवाने तक मे भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कई निजी अस्पताल इन नोटों को लेने से इनकार कर रहे हैं। याचिका में सरकार के फैसले को तुगलकी फरमान कहा गया है।
बैंकों पर लगी भीड़, 500 और 1000 के नोट बदलवाने पहुंचे लोग
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