नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा। पुरोहित 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी है। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे।
न्यायाधीश आर.के. अग्रवाल व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने आदेश को सुरक्षित रखा। पुरोहित ने अदालत से कहा कि वह बीते नौ सालों से जेल में हैं और वह जमानत पाने का हकदार है।
पुरोहित ‘अभिनव भारत’ के गठन से पहले सेना में था। अभिनव भारत का गठन उसने हिंदू राष्ट्र की लड़ाई के लिए किया था।
घटना में अपने शामिल होने से इनकार करते हुए पुरोहित ने अदालत से कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि उस पर लगाया गया बम की आपूर्ति करने का आरोप सही है तो भी उसे जेल से बाहर होना चाहिए क्योंकि इस अपराध की भी अधिकतम सजा सात साल है जो वह पहले ही काट चुका है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जमानत याचिका का विरोध किया। एनआईए ने कहा कि मालेगांव विस्फोट में उसके शामिल होने के साक्ष्य हैं।
पुरोहित ने 25 अप्रेल के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मामले की दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दी गई थी। नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए विस्फोट में 6 लोग मारे गए थे।