नई दिल्ली। बैलों की दौड जल्लीकट्टू महोत्सव को जानवरों के प्रति हिंसा बताकर इस पर प्रतिबंध की लडाई लडने वाले वकीलों और याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय द्वारा जल्लीकट्टू पर रोक लगाने का स्वागत किया है।
वकील अपर्णा भट्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार द्वारा जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाए जाने वाली अधिसूचना को चुनौती थी और न्यायालय ने उस पर रोक लगा दी। इसलिए अब वहां पर ना तो बैलों की दौड होगी और ना ही बैलगाडियों की दौड आयोजित की जाएगी।
याचिकाकर्ता गोरी मउलेखी, सौम्या रेड्डी, राधा रंजन और पेटा ने कहा कि हम बेहद खुश हैं क्योंकि केंद्र सरकार की अधिसूचना कानूनी और नैतिक आधार पर पूरी तरह से गलत थी। उन्होंने कहा कि खेल में जानवरों के साथ क्रूरता होती है उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को झटका देते हुए जल्लीकट्टू महोत्सव पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू पर से गत 7 जनवरी को ही रोक हटाई थी। न्यायालय ने केंद्र सरकार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र के अलावा उन सभी राज्यों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है जहां जल्लीकट्टू प्रचलित है।
तमिलनाडु में पोंगल के दौरान आयोजित होने वाला जल्लीकट्टू महोत्सव पिछले चार साल से प्रतिबंधित था। इसके खिलाफ सोमवार को पशु अधिकार समूहों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
याचिका दायर करने वालों में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, पेटा और बेंगलुरू का एक स्वयं सेवी संगठन शामिल है। याचिका में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू खेल और बैलों की रेस को जानवरों के प्रति हिंसा बताया गया और केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देते हुए उस पर रोक की मांग की गई थी।