नई दिल्ली। देश की सुरक्षा एजेंसियों को संसद एवं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के प्रति उत्तरदायित्व बनाए जाने की एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। यह याचिका गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने दी थी।
देश की सुरक्षा एजेंसियों में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), प्रमुख टेक्निकल जासूसी एजेंसी नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एनटीआरओ) जैसी संस्था शामिल है।
सुरक्षा एजेंसियों को संसद एवं कैग के प्रति उत्तरदायित्व बनाए जाने की एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ऐसा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र पर असर पड़ सकता है।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि सुरक्षा एजेंसियों का अपना आंतरिक अंकेषण तंत्र प्रणाली है। इन्हें संसद और कैग के प्रति उत्तरदायित्व बनाए जाने से देश की सुरक्षा तंत्र प्रणाली को काफी खतरा हो सकता है।
इससे पहले वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में सुरक्षा एजेंसियों के फण्डों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि इन फण्डों का कैग या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा ऑडिट नहीं किया जा रहा है। यह याचिका वकील भूषण ने गैर सरकारी संस्था सीपीआईएल की ओर से दाखिल की थी।
जानकारी हो कि अपनी याचिका में प्रशांत भूषण ने पश्चिमी देशों की तरह देश की सुरक्षा एजेंसियों को यहां भी संसदीय निगरानी में लाने और कैग से उनका वित्तीय ऑडिटिंग कराने का आदेश देने की मांग की गई थी।