नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा अक्टूबर, 1990 में अयोध्या में ‘कार सेवकों’ पर गोली चलाने के आदेश दिए जाने के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन के सिलसिले में कार सेवक शहर में इकट्ठा हुए थे।
लखनऊ जिले के निवासी याचिककर्ता राणा संग्राम सिंह ने 3 मई, 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने इस मामले पर उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
इस मामले पर उनकी याचिका मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के समक्ष 28 अगस्त, 2014 और 11 फरवरी, 2016 को क्रमश: खारिज कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता चाहता था कि मुलायम सिंह यादव द्वारा गोंडा में 6 फरवरी, 2014 को सार्वजनिक बैठक में दिए बयान, जिसमें मुलायम ने कहा था कि 30 अक्टूबर, 1990 को उन्होंने पुलिस को गोलीबारी का आदेश दिया था, जिसमें कई लोग मारे गए थे, के आधार पर उनसे पूछताछ की जाए। इसके अगले दिन समाचार पत्रों में उनके इस बयान को प्रमुखता से उठाया गया था।
याचिकाकर्ता ने कानून का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि कोई मुख्यमंत्री पुलिस को गोलीबारी का आदेश कैसे दे सकता है।