नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी विभिन्न अधिसूचनाओं में आधार को विभिन्न योजनाओं जैसे छात्रों द्वारा दी जानेवाली परीक्षा, छात्रवृत्ति, अंतिम संस्कार और एचआईवी मरीजों के इलाज के लिए अनिवार्य बनाने के खिलाफ अंतरिम राहत की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा।
सरकार ने अभी तक आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने को लेकर कुल 139 अधिसूचनाएं जारी की है, जिसमें इसे मनरेगा से लेकर पेंशन योजना और प्रोविडेंड फंड से लेकर प्रधानमंत्री जन धन योजना तक को जोड़ने का निर्देश दिया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में राहत की मांग को लेकर गुरुवार को करीब साढ़े तीन घंटों तक सुनवाई करने के बाद अपना फैसला शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रखा है।
इसमें विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने आधार को निजता के अधिकार का मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी थी, जिस पर नियमित सुनवाई अगले साल 10 जनवरी से शुरू होगी।
अदालत ने संकेत दिया है कि नया बैंक खाता खोलने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने की सरकार की याचिका भी शुक्रवार को ही फैसला सुनाएगी।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि नए बैंक खाता खोलने के लिए आधार को जोड़ने की अनुमति दी जाए। वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि किसी वर्तमान खाता धारक द्वारा नए खाता धारक के परिचय की प्रणाली पिछले सात दशकों से चल रही है, तो अगले तीन महीनों तक इसे जारी रखने की अनुमति देने से कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
इसके साथ ही अदालत द्वारा मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की डेडलाइन 6 फरवरी से बढ़ाकर 31 मार्च करने का आदेश देने की उम्मीद है। सरकार ने पहले ही आधार को वर्तमान बैंक खातों से जोड़ने की डेडलाइन को 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया है।