नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखंड के विधानसभा एवं संसदीय मामलों के प्रधान सचिव की निगरानी में मंगलवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण होगा।
केंद्र सरकार के आवेदन को स्वीकर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने सोमवार को शक्ति परीक्षण के दौरान मत विभाजन के निरीक्षण का दायित्व उत्तराखंड सरकार के विधानसभा एवं संसदीय मामलों के प्रधान सचिव सौंप दिया। जबकि इससे पहले 6 मई के आदेश में अदालत ने विधानसभा के प्रधान सचिव को पर्यवेक्षक अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था।
केंद्र सरकार अदालत में दाखिल किए अपने आवेदन में कहा था कि संबंधित अधिकारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि चूंकि राज्य विधानसभा में प्रधान सचिव का कोई पद नहीं है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण आदेश के बाद ही वह काम कर सकते हैं।
वहीं केंद्र सरकार की मांग का कांग्रेस ने यह कहते हुए विरोध किया कि विधानसभा एवं संसदीय मामले के प्रधान सचिव को शक्ति परीक्षण का निरीक्षण सौंपना विधानसभा में बाहरी व्यक्ति के भाग लेने जैसा होगा।
कांग्रेस ने कहा कि विधानसभा सचिव जो कि विधानसभा अध्यक्ष के अंतर्गत आते हैं, उन्हें ही शक्ति परीक्षण का निरीक्षण करने दिया जाना चाहिए। कांग्रेस की दलील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अधिकारी को यह काम सौंपना सदन में निष्पक्षता बनाए रखना है।