नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें राज्य सरकार को 2002 में गुजरात दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धर्मस्थलों की मरम्मत की पूरी राशि देने का निर्देश दिया गया था।
लेकिन, सर्वोच्च न्यायालय ने क्षतिग्रस्त रिहायशी एवं वाणिज्यिक संपत्तियों की ही तरह इन धर्मस्थलों की मरम्मत के लिए 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने पर सहमति व्यक्त की।
अतिरिक्त महान्यायवादी तुषार मेहता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश पीसी पंत की पीठ ने दंगों के दौरान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए धर्मस्थलों की मरम्मत के लिए रिहायशी व वाणिज्यिक संपत्तियों जितनी ही सहायता राशि दिए जाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
गुजरात सरकार ने ऐसे धर्मस्थलों की मरम्मत के लिए अधिकतम 50,000 रुपए की सहायता राशि देने का प्रस्ताव दिया था। गुजरात सरकार ने अपने प्रस्ताव में धर्मस्थल के नाम पर नहीं बल्कि उन्हें क्षतिग्रस्त इमारत मानकर अधिकतम 50,000 रुपए की सहायता राशि देने की बात कही थी।