नई दिल्ली। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह हाईकोर्ट के जजों के लिए भेजी गई लिस्ट को स्वीकार करे। इसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और उस पर विचार के लिए दोबारा केंद्र को इस कमेंट के साथ भेजा कि केंद्र इनकी नियुक्ति तीन हफ्ते में करे।
केंद्र ने कालेजियम के भेजे 77 नामों में से 34 वापस भेज दिए थे। जजों की नियुक्ति के मसले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने वरिष्ठ अधिवक्ता रामजेठमलानी को गुजरात बार एसोसिएशन की तरफ से हस्तक्षेप करने की अनुमति दी।
गुजरात बार एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमआर शाह के तबादले के कॉलेजियम के फैसले पर रोक लगाई गई है।
गुजरात बार एसोसिएशन का कहना है कि केंद्र सरकार कॉलेजियम के फैसलों को धता बता रही है। पिछली सुनवाई में केन्द्र ने कहा था कि कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 77 नामों में से 34 जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। केन्द्र ने 43 लोगों के नाम पर आपत्ति जताई है।
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जजों की नियुक्ति से संबंधित कोई भी फाइल सरकार के पास नहीं है। उन्होंने कहा था कि मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर कॉलेजियम 7 अगस्त को ही दे दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कॉलेजियम की बैठक 15 नवंबर को होगी। कोर्ट ने कहा था कि हालात ये हैं कि कोर्ट को ताला लगाना पड़ा है।