नई दिल्ली। पांच सौ और एक हजार रुपये के पुराने नोट को बैन करने के सरकार के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से कहा कि लोगों को नकदी मिलने में काफी परेशानी हो रही है। इस परेशानी को कम करने के सरकार उपाय करे।
उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि सरकार कह रही है कि ये कालाधन पर सर्जिकल स्ट्राईक है और आप कह रहे हैं कि ये जनता के ऊपर कारपेट बम का प्रहार है।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लोगों की परेशानियां कम करने के लिए आठ नवंबर से अब तक छह अधिसूचना जारी की गई हैं।
नोट बैन के खिलाफ तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं जिनमें दो दिल्ली के वकील हैं जबकि एक तमिलनाडु के शख्स ने याचिका दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने पांच सौ के एक पुराने नोट पर लिखा हुआ पढ़ते हुए कहा कि मैं धारक को पांच सौ रुपए देने का वचन देता हूं।
उन्होंने कहा कि सरकार को नोट वापस लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि नोट बैन कर आरबीआई एक्ट की धारा 26(2) का उल्लंघन किया गया है।
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल ने कहा कि अब पांच सौ और एक हजार रुपए के जाली नोट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि दिक्कत करेंसी नोटों की कमी की वजह से है और प्रिंटिंग मशीनों में करेंसी नोटों की रात दिन छपाई कर जनता की तकलीफें दूर करने की कोशिश की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वे डिटेल बताएं कि वो लोगों की तकलीफों को दूर करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
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