नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार जेएनयू छात्र कन्हैया, उमर खालिद, एस आर गिलानी सहित पांच अन्य छात्रों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया।
उच्चत्तम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को कहा कि पहले वह अटार्नी जनरल की सहमति लाएं, उसके बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी। उच्चत्तम न्यायालय ने कहा कि अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए अटार्नी जनरल की अनुमति जरूरी है और कानून भी यही कहता है।
याचिका में कहा गया कि संसद में हमले के दोषी अफ़जल गुरु की फांसी को न्यायिक हत्या कहना कोर्ट की अवमानना है।
अवमानना याचिका में कहा गया है कि जो कार्यक्रम हुआ था उसमें पर्चे बांटे गए थे कि अफ़जल की मौत न्यायिक हत्या है और नारे भी लगाए गए जिससे ये लगता है कि उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश ही अफ़जल के हत्यारे हो। उच्चत्तम न्यायालय ने अफ़जल के मामले में सभी पक्षों को सुनने और सबूतों के आधार पर फांसी की सज़ा सुनाई थी।
जानकारी हो कि कन्हैया, गिलानी के अलावा उमर ख़ालिद, लेनिन कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, शेहला राशिद और अली जावेद के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत करवाई की मांग की गई है।