नई दिल्ली। उत्तराखंड के बाद अब अरुणाचल प्रदेश में भी केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश में फिर से कांग्रेस सरकार बहाल करने का आदेश दिया है। साथ ही 15 दिसंबर 2015 के बाद विधानसभा द्वारा लिए गए सभी फैसलों को रद्द करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि राज्यपाल का समय से पहले विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला, उसकी पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक थी। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक राज्यपाल ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।
इस मामले में 22 फरवरी को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि इस फैसले से न केवल अरूणाचल प्रदेश प्रभावित होगा बल्कि प्रत्येक राज्य प्रभावित होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य में 15 दिसंबर 2015 से पहले की स्थिति बहाल होगी। इसका मतलब यह है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार फिर से बहाल हो जाएगी क्योंकि उससे पहले राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और नबाम तुकी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल दिसंबर में कई दिनों तक राजनीतिक उठापटक चली। बाद में मोदी सरकार की सिफारिश पर अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर किया गया था।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के एक महीने के भीतर ही अरुणाचल में भाजपा की सरकार बन गई थी। इसी साल कई महीनों के राजनीतिक संकट के बाद अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी के सहयोग से कांग्रेस के बागी नेता कलिखो पुल ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
राज्य में 60 सीटों वाली विधानसभा में कलिखो पुल को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों का समर्थन और बाहर से 11 बीजेपी विधायकों और दो निर्दलीयों का समर्थन हासिल था। सरकार के इस फैसले का कांग्रेस और आप ने कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की।
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