नई दिल्ली। पत्नी द्वारा घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास के आरोप में दर्ज मामले में गिरफ्तार आप पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती को गुरुवार को दोहरी परेशानियों का सामना करना पड़ा जहां सुप्रीमकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया और निचली अदालत ने उनकी हिरासत में पूछताछ की अवधि तीन दिन बढ़ा दी।
शीर्ष अदालत द्वारा मालवीय नगर के 41 वर्षीय विधायक को अंतरिम जमानत देने से इनकार किए जाने और मध्यस्थता की संभावना तलाशने के लिए सोमवार को उनकी पत्नी की अदालत में मौजूदगी के लिए कहे जाने के कुछ घंटे बाद निचली अदालत ने इस आधार पर हिरासत की अवधि बढ़ाने की दिल्ली पुलिस की मांग को कबूल कर लिया कि उनसे पूछताछ के लिए दो दिन पर्याप्त नहीं हैं।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायाधीश अमिताव राय की शीर्ष अदालत की पीठ ने भारती के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की पांच अक्तूबर तक की अंतरिम जमानत की मौखिक याचिका को खारिज कर दिया। पांच अक्तूबर को ही उच्चतम न्यायालय उनके मध्यस्थता के मुद्दे पर सुनवाई करेगा।
पीठ ने कहा कि वह मजिस्ट्रेट की अदालत में कार्यवाही के नतीजे का इंतजार करेंगे जिसने अंतत विधायक को राहत नहीं दी और पुलिस की इस याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया कि विधायक को आगे हिरासत में पूछताछ के लिए भेजा जाए।
भारती ने सुप्रीमकोर्ट और निचली अदालत दोनों जगहों पर पुलिस के खिलाफ आरोप लगाया कि जांच अधिकारियों ने उन्हें समर्पण के बाद अपने वकील से परामर्श नहीं लेने दिया और हिरासत में कथित तौर पर उन्हें प्रताडि़त किया गया।
भारती की ओर से सुब्रमण्यम ने दलील दी कि आप विधायक की याचिका लंबित रहने के दौरान निचली अदालत को उनके समर्पण के बाद उन्हें पुलिस हिरासत में नहीं भेजना चाहिए, वहीं उनकी तरफ से एक और वकील ने मजिस्ट्रेट के समक्ष भी इसी तरह की राय रखी और कहा कि आप विधायक को पुलिस रिमांड के बजाय न्यायिक हिरासत में भेजा जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक न्यायाधीश और सुब्रमण्यम के बीच संवाद भी हुआ। अंत में पीठ ने भारती की ओर से उनके वकील द्वारा लिखा गया पत्र रिकार्ड पर लिया जिसमे कहा गया है कि मालवीय नगर से आप पार्टी के विधायक अपने बच्चों की खातिर मध्यस्थता के माध्यम से अपनी पत्नी के साथ समझौता करना चाहते हैं।
पीठ ने उनकी पत्नी को नोटिस जारी किया और उन्हें सोमवार को उपस्थित होने का निर्देश दिया ताकि मध्यस्थता की संभावना के बारे में उनका रुख पता चल सके। पीठ ने यह भी कहा कि हमने याचिका लंबित रखी क्योंकि हम जानना चाहते हैं कि क्या वह महिला लिपिका मित्रा मध्यस्थता के लिए तैयार हैं।
इससे पहले सुब्रमण्यम ने न्यायालय में कहा कि भारती के समर्पण करने और उनकी याचिका शीर्ष अदालत में लंबित होने के तथ्य के बावजूद निचली अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया। हालांकि इस पर पीठ ने उन्हें आगाह किया कि उन्हें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि सुनवाई की अगली तारीख पर जमानत मिल ही जाएगी।
सुब्रमण्यम ने कहा कि न्यायालय आश्वासन नहीं बल्कि सिर्फ आदेश दे सकता है। इस पर न्यायाधीश राय ने कहा कि आखिरकार आदेश पारित करना तो न्यायालय का ही विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि हम तो सिर्फ स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे पहले भारती की पुलिस हिरासत की दो दिन की अवधि खत्म होने पर उन्हें गुरुवार को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मणिका के सामने पेश किया गया और जांचकर्ताओं ने हिरासत पांच दिन बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि पिछली समयावधि पर्याप्त नहीं थी।
पुलिस ने निचली अदालत में कहा कि भारती से हिरासत में और पूछताछ की जरूरत है क्योंकि इस मामले में कई बिन्दुओं पर जांच की जानी है और वह जांच में सहयोग भी नहीं कर रहे हैं।
पुलिस ने कहा कि भारती की हिरासत यह जानने के लिए भी जरूरी है कि गिरफ्तारी से बचने के वक्त किन लोगों ने उन्हें शरण दी। आरोप है कि शरण देने वाले लोग आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे। उन्होंनेे कहा कि उन्हें पुरजोर आशंका है कि वह अपने साथ चाकू और गहने ले गए थे, जो उनसे बरामद करने हैं।
भारती की ओर से पेश अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग का विरोध करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहले ही लंबित है। सुनवाई के दौरान, पूर्व विधि मंत्री ने पुलिस के हाथों उत्पीडन का आरोप लगाया।
भारती ने कहा कि डीसीपी ने मेरा कुर्ता पकड़ा और मुझे निर्वस्त्र करने का प्रयास किया। पुलिस एक चाकू लेकर आई और मुझसे यह कबूल करने के लिए कहा कि यह जांच के दौरान बरामद हुआ है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कुछ कागजातों पर उनके दस्तखत लेने का भी प्रयास किया। आप विधायक को 29 सितंबर को तड़के गिरफ्तार किया गया था।