नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने आधार संख्या को स्थायी खाता संख्या (पैन) से जोड़ना अनिवार्य करने को लेकर आयकर अधिनियम में हाल में जोड़े गए नए प्रावधान को बरकरार रखा, लेकिन इसके क्रियान्वयन पर आंशिक रोक लगा दी है।
न्यायाधीश ए.के.सीकरी तथा न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि जिनके पास पहले से ही आधार संख्या है, वे उसे पैन संख्या के साथ जोड़ सकते हैं, लेकिन जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उनपर इसके लिए दबाव नहीं डाला जा सकता।
पीठ ने कहा कि जिन्होंने पहले ही आधार के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन उन्हें अबतक नहीं मिल पाया है, उन्हें इसके कोई प्रतिकूल नतीजे नहीं भुगतने होंगे और उनके पैन कार्ड अमान्य नहीं होंगे, क्योंकि इसके ‘गंभीर नतीजे’ होंगे।
अगर पैन को आधार से नहीं जोड़ा गया, तो आयकर अधिनियम का अनुच्छेद 139एए पैन को अमान्य बनाता है।
न्यायाधीश सीकरी ने कहा कि इस तरह से पैन को अमान्य करने से इस तरह के पैन के आधार किसी व्यक्ति द्वारा अतीत में की गई सभी गतिविधियों को अमान्य करार देने का बुरा प्रभाव पड़ेगा।
न्यायाधीश सीकरी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आयकर अधिनियम का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) तथा अनुच्छेद 19 का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि नया प्रावधान प्रत्याशित रूप से प्रभावी हो सकता है, पूर्वव्यापी तौर पर नहीं, तथा पहले की गई लेनदेन की फिर से समीक्षा नहीं की जा सकती।