नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा जाट आरक्षण समाप्त किये जाने पर सत्ता और विपक्ष दोनों दलों के जाट नेता निराश है। सरकार उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ अपील का मन बना रही है।
आरक्षण समाप्त किये जाने पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि वह जाट आरक्षण का समर्थन करतें है। उन्होंने कहा कि जाटों को आरक्षण मिलना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने किसी आधार पर आरक्षण को समाप्त किया है उस कमी को दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ उच्च बेंच में अपील करेंगे। सरकार अपनी बात रखेगी।
जाट आरक्षण समाप्त किये जाने पर कुछ इसी प्रकार की प्रतिक्रिया हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी दी है। हुड्डा ने कहा कि सरकार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए, क्योंकि उस समय राजग ने भी इसका समर्थन किया था।
गौरतलब है कि हुड्डा और चौधरी वीरेंद्र सिंह कभी कांग्रेस में साथ-साथ थे, लेकिन वीरेंद्र सिंह पिछले साल लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उल्लेखनीय है कि जाट आरक्षण को समाप्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र का फैसला दशकों पुराने आंकड़ों पर आधारित है और आरक्षण के लिए पिछड़ेपन का आधार सामाजिक होना चाहिए, न कि आर्थिक या शैक्षणिक। न्यायालय ने कहा कि सरकार को ट्रांस जेंडर जैसे नए पिछड़े ग्रुप को ओबीसी के तहत लाना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने नौ राज्यों के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल किया था। इसके आधार पर जाट भी नौकरी और उच्च शिक्षा में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण के हक़दार बन गए थे। जिसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कि गई थी।