नई दिल्ली। लोढ़ा कमेटी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच तनानती पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त दिखा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर बीसीसीआई को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू होनी चाहिए। उसने कहा कि अगर बीसीसीआई सिफारिशें लागू नहीं करता हैं तो हम आदेश देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की इस दलील पर आपत्ति जताई कि राज्य संघ इसके अधीन नहीं है । कोर्ट ने बीसीसीआई से हलफनामा देने को कहा कि वह लोढा समिति के निर्देशों पर अमल करेगा । कोर्ट ने कहा कि लोगों को आपसे (बीसीसीआई से ) पैसा चाहिये , आप कहते हैं कि वे सुधार लाना नहीं चाहते , ऐसी प्रदेश ईकाइयों को पैसा देना बंद कर दो । बीसीसीआई से पैसे लेना राज्य संघों का मौलिक अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल यानी सात अक्टूबर को फैसला सुनायेगा । बीसीसीआई से लोढा समिति के निर्देशों पर अमल करने के लिये कहा । बीसीसीआई ने यह हलफनामा देने से इनकार किया कि वह राज्य संघों को अनुदान का आवंटन नहीं करेगा और लोढा समिति के सभी निर्देशों पर अमल करेगा ।
सुनवाई के दौरान लोढ़ा कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई को उद्दंड करार देते हुए पैनल की सिफारिशों को नहीं लागू करने का आरोप लगाया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल की रिपोर्ट पर सुनवाई के बाद कहा कि लोढ़ा पैनल कोई मामूली पैनल नहीं है। इसे खुद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता कर रहे हैं।
गौर हो कि बीसीसीआई में सुधार लाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोढ़ा कमेटी ने अपनी सिफारिशें दी थी। इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 को मंजूर कर लिया था। उन्हें लागू करने के लिए बीसीसीआई को 4 से छह महीने का वक्त दिया गया। शुरुआत में बोर्ड लोढ़ा कमेटी की कई सिफारिशों को मानने को तैयार नहीं था लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 30 सितंबर को बीसीसीआई की स्पेशल जनरल मीटिंग में लोढ़ा कमेटी की कई सिफारिशों को मंजूर कर लिया। अंत में बात चार सिफारिशों पर आकर अटक गई। जिसके बाद से ये सारा बखेड़ा खड़ा हुआ।