नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ जम्मू एवं कश्मीर की महिलाओं को राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने पर उन्हें संपत्ति के अधिकार से वंचित करने वाले संवैधानिक प्रावधान की पड़ताल करेगा और अगर उसे लगता है कि यह संविधान में प्रदत्त ‘मूल अधिकारों’ का उल्लंघन है तो इस पर सुनवाई करेगा।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर की पीठ ने कहा कि अगर हमें वास्तव में लगा कि इस प्रावधान को दी गई चुनौती को स्वीकार किया जा सकता है, तो इस पर पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ दो पहलुओं के आधार पर सुनवाई करेगा कि क्या यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है या फिर यह प्रक्रियागत अधिकार से बाहर है।
सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. चारु वाली खन्ना द्वारा दायर संविधान के अनुच्छेद 35 ए और जम्मू एवं कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 6 को चुनौती देने वाली एक अन्य लंबित याचिका का भी संदर्भ दिया।
संविधान के इस अनुच्छेद में दिए गए प्रावधान में मौजूद लैंगिक भेदभाव की ओर इशारा करते हुए याचिकाकर्ता के वकील बिमल जाद ने अदालत से कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने विदेशी महिला से शादी की है, लेकिन उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को राज्य द्वारा प्रदत्त सारे अधिकार हासिल हैं।
गौरतलब है कि अनुच्छेद में प्रावधान है कि जम्मू एवं कश्मीर की कोई महिला यदि राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करती है तो न सिर्फ उसका संपत्ति पर से अधिकार खत्म हो जाता है, बल्कि उसकी संतानें भी इस अधिकार से वंचित रहती हैं।
उमर अब्दुल्ला की शादी भी राज्य से बाहर की महिला से हुई है, लेकिन उनके बच्चों को राज्य के सारे अधिकार हासिल हैं, जबकि उनकी बहन सारा अब्दुल्ला राज्य से बाहर के व्यक्ति से विवाह करने के बाद संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दी गई हैं।