नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘पद्मावती’ के देश से बाहर रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका की सुनवाई 28 नवंबर को करेगा।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने एक याचिकाकर्ता द्वारा फिल्म को विदेश में रिलीज नहीं करने देने की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि अगर देश से बाहर फिल्म को रिलीज किया गया तो इससे समाजिक सौहार्द को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
वकील एमएल शर्मा ने तत्काल सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष यह याचिका रखी थी। अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगी।
शर्मा ने फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने यह कहकर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है कि फिल्म के गाने और प्रोमो को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने हरी झंडी दिखा दी है।
इससे पहले अदालत ने इस फिल्म के संबंध में शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि सीबीएफसी को अभी भी इस फिल्म को लेकर निर्णय लेना है और इसमें हस्तक्षेप ‘मामले की पहले जांच’ करने के बराबर होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीएफसी एक वैधानिक संस्था है और न्यायालय उसे फिल्म सर्टिफिकेशन को लेकर निर्देश नहीं दे सकता।
शर्मा ने उस समय यह कहते हुए फिल्म की रिलीज को रोकने और आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने व भंसाली के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग कि थी कि इसमें रानी पद्मावती को एक ‘नृत्यांगना’ के तौर पर दिखाया गया है।
इस फिल्म पर आरोप लगे हैं कि फिल्म में पद्मावती के बारे में गलत तथ्य दिखाए गए हैं। भंसाली ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है।
इस फिल्म को भारत में रिलीज करने की तिथि पहले 1 दिसंबर रखी गई थी लेकिन विरोध के बाद इस तिथि को स्थगित कर दिया गया। फिल्म को अभी संसेर बोर्ड से फिल्म प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं मिली है।
ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन (बीबीएफसी) ने इस फिल्म को 1 दिसंबर को वहां रिलीज करने की अनुमति दे दी है, लेकिन फिल्म निर्माताओं से जुड़े करीबी सूत्रों का कहना है कि यह फिल्म एक दिसंबर को कहीं भी रिलीज नहीं होगी।
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