नई दिल्ली। बीसीसीआई के अधिकारियों को वाणिज्यिक हितों के पद ग्रहण करने और इंडियन प्रीमियर लीग और चैम्पियंस लीग में फ्रेंचाइजी खरीदने की इजाजत देने के लिए 2008 में बोर्ड कानून में किए गए संशोधन की सुप्रीमकोर्ट जांच करेगा।
संशोधन से पहले बोर्ड के कानून बोर्ड अधिकारियों को बोर्ड द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में वाणिज्यिक हित की भूमिका ग्रहण करने और आईपीएल में फ्रेंचाइजी लेने से रोकने वाले थे।
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने न्यायालय को बताया कि 2008 के संशोधन के जरिए बोर्ड के अधिकारियों और तत्कालीन सचिव एन. श्रीनिवासन की कंपनी इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड को आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के फ्रेंचाइजी अधिकार खरीदने के लिए कानूनी आड़ प्रदान किया गया।
इस दलील के सुनने के बाद न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर और न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने बीसीसीआई के नियम 6.2.4 की जांच करने का निर्णय लिया।
न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान हितों के टकराव का जो मुद्दा उठा है उसे छोड़ा नहीं जा सकता। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष आई. एस. बिंद्रा के वकील धवन ने न्यायालय को बताया कि बोर्ड के इस प्रावधान की जांच किए जाने की जरूरत है, क्योंकि यही सभी समस्याओं की जड़ है। इसी संशोधन के कारण बोर्ड में समस्याएं खड़ी हुई। अगर इसे नहीं सुलझाया गया तो सारी समस्याएं अनसुलझी रह जाएंगी।