नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की एक 22 वर्षीय महिला को उसके गर्भ में पल रहे असामान्य भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि महिला को अपनी जान बचाने का पूरा अधिकार है। भ्रूण 24 हफ्ते का है।
महिला की मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक भ्रूण की खोपड़ी विकसित नहीं हुई है साथ ही उसके जीवित बचने की उम्मीद बहुत कम है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक अगर महिला का गर्भपात नहीं कराया जाता है तो उसकी जान को खतरा है।
डॉक्टरों के पैनल ने भ्रूण के गर्भपात की सलाह दी ताकि महिला की जान को खतरा न हो। आपको बता दें कि पिछले साल 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक रेप पीड़िता को 24 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दी थी।
कोर्ट ने मुंबई के केईएम अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की सलाह पर ये फैसला दिया था। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गर्भ में कई जन्मजात विसंगतियों की वजह से पीड़िता की जान खतरे में है।
बोर्ड ने कहा है कि अगर गर्भ को गिराया नहीं गया तो महिला को शारीरिक और मानसिक रुप से नुकसान उठाना पड़ सकता है।
एमटीपी एक्ट की धारा 5 के मुताबिक 20 हफ्ते बाद अगर किसी आनुवांशिक विकार का पता चलता है और कोई महिला गर्भपात कराना चाहती है तो भी वह इसी धारा के चलते गर्भपात नहीं करा सकती।
इसलिए ये धारा ऐसे किसी भी बच्चे को जन्म देने में जो शारीरिक और मानसिक तकलीफ उस मां को होती है उसकी अनदेखी करती है।