सूरत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में शहर भाजपा भी अपना योगदान देने की तैयारी कर रही है। वर्ष २०१५ में प्रस्तावित स्थानीय निकाय चुनावों के लिए नए सिरे से होने वाले सीमांकन में भाजपा मिशन जीरो पर काम कर सकती है। इसके तहत कांग्रेस समर्थित वार्डों को बिखेरकर नए सिरे से गठित किया जा सकता है। यह आशंका इसलिए भी बलवती हो रही है कि विधानसभा चुनावों से पहले हुए सीमांकन में शहर की विधानसभा सीटों के निर्धारण के बाद भाजपा ने शहर में क्लीन स्वीप किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से देश को कांग्रेस मुक्त करने की नीति पर काम कर रहे हैं, उसे देखते हुए सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी मनपा चुनावों में भी कांग्रेस की राह आसान नहीं है। चुनावों में लगातार हार के सिलसिले के बाद बैकफुट पर आ चुकी कांग्रेस के लिए मनपा चुनावों से पहले वार्डों का सीमांकन नई परेशानी खड़ी कर सकता है। सत्ता में रहते हुए वार्ड सीमांकन में भाजपा के दखल को लेकर कांग्रेस अभी से सशंकित है।
उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव २०१२ से पहले विधानसभा सीटों के सीमांकन में जिस तरह से शहर की सीटों की संख्या बढ़कर १२ हुई थी उसने कांग्रेस की संभावनाओं को काफी हद तक कमजोर कर दिया था। रही-सही कसर झोपड़पट्टी हटाने के नाम पर कांग्रेस का बड़ा वोटबैंक सूरत पूर्व विधानसभा सीट से शिफ्ट होकर कोसाड और अमरोली चला गया था। कांग्रेस कार्यकर्ता मनपा के इस निर्णय को सूरत पूर्व में मिली हार के बढ़े मार्जिन की बड़ी वजह मानते हैं।
कमोबेश यही स्थितियां एक बार फिर बनने जा रही हैं। राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के बाद मनपा चुनावों से पहले वार्डों के सीमांकन का रास्ता खुल चुका है। इसके साथ ही प्रत्येक वार्ड में इस बार तीन की जगह चार पार्षदों का पैनल बनेगा। जानकारों की मानें तो भाजपा की स्थानीय इकाई बहुत पहले से इस मुद्दे पर माथापच्ची करती रही है। वार्डों के सीमांकन का मास्टर प्लान लगभग तैयार है।
बताया जा रहा है कि कोशिश यही रहेगी कि नए सीमांकन में उन वार्डों पर फोकस किया जाए जहां भाजपा के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं हैं। कांग्रेस को मनपा बोर्ड में शून्य तक पहुंचाने के लिए ऐसे वार्डों में संतुलन साधने की कवायद रहेगी। उधर, कांग्रेस भी मानकर चल रही है कि इस बार की स्थिति ज्यादा मुश्किल भरी है। जिस कारण पार्टी पहले से ही उन जगहों पर फोकस कर रही है जहां भाजपा के साथ मुकाबले में रहा जा सकता है। इसीलिए कांग्रेस ने भी चुनावों के मद्देनजर अभी से महिला प्रत्याशियों को तलाशना शुरू कर दिया है।