सूरत। पीपी सवाणी समूह की ओर से आयोजित भव्य समारोह में १११ युगल जन्मभर साथ चलने का वादा कर एक-दूसरे के पूरक बन गए। समूह विवाह समारोह साम्प्रदायिक सद्भाव का उदाहरण बना जब बेटियों के धर्मपिता बने महेश सवाणी ने हिंदू, मुस्लिम और जैन विधि से कन्यादान किया। केवल माला पहनाकर ही विवाह बंधन में बंधे युगल समारोह का विशेष आकर्षण रहे।
पीपी सवाणी परिवार के पोपट सवाणी की पुण्यतिथि पर रविवार को मोटा वराछा-अब्रामा रोड स्थित पीपी सवाणी चैतन्य विद्यासंकुल स्कूल कैम्पस में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह भव्य तरीके से सम्पन्न हुआ। इस मौके पर धर्मपिता की भूमिका निभा रहे महेश सवाणी ने बेटियों को मासूम पौधे की संज्ञा देते हुए दामादों से आह्वान किया कि अब तक पिता के साये से महरूम बेटियों को अपनेपन की जरूरत है। उन्हें स्नेह की खाद-पानी देते रहें तो उन्हीं से भविष्य में मीठा फल भी मिलेगा।
अचानक बीमार पड़ गई मुख्यमंत्री आनंदी पटेल की प्रतिनिधि के रूप में समारोह में आईं राज्य सरकार में मंत्री वसु त्रिवेदी ने इस आयोजन को संवेदना से जुड़ा कार्यक्रम बताया। उन्होंने राज्य सरकार की बेटी बचाओ मुहिम की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते यह अहसास हुआ था कि राज्य में बेटियों की संख्या कम हो रही है।
इसीलिए उन्होंने बेटी बचाओ अभियान शुरू किया जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। दक्षिण गुजरात वीर नर्मद विश्वविद्यालय के कुलपति दक्षेश ठाकर ने कहा कि कुदरत ने पिता का साया छीनकर जिन बेटियों के साथ अन्याय किया था, यह आयोजन उनके साथ न्याय का वायस बना है। साध्वी ऋतंभरा ने बेटियों के धर्मपिता बनने के महेश सवाणी के प्रयासों की सराहना की।
मानव धर्म सभी धर्मों का मूल
धर्म की व्याख्या करते हुए जूनागढ़ की राधा मेहता ने मानव धर्म को सभी धर्मों का मूल बताते हुए कहा कि जिसके पास शील, सदाचार और सद्भावना है, जीत उसी की होती है। गीता के श्लोक और कुरान की आयतों का तुलनात्मक विवेचन करते हुए उन्होंने कहा कि गीता और कुरान में कोई फर्क नहीं है। गीता हिंदुस्तान की कुरान है और कुरान अरब की गीता है।
फूलहार विवाह रहा आकर्षण
विवाह की फूलहार विधि पूरे समारोह का आकर्षण रही। जिन दो युगलों ने बिना रीति-रिवाज केवल माला पहनकर विवाह बंधन में बंधने का निर्णय किया, सवाणी ग्रुप ने उनके लिए विशेष प्रबंध किया था। दोनों युगलों के लिए विशेष प्लेटफार्म तैयार किया गया जिसे क्रेन से ऊपर लाया गया। फिल्मी अंदाज में दोनों युगल हवा में उठे प्लेटफार्म पर अचानक प्रकट हुए और मालाएं पहनाईं। इस मौके पर की गई फूलों की बारिश और आतिशबाजी देखने लायक रही।
अब अगले बरस छह दिसम्बर को
महेश सवाणी का लक्ष्य कम से कम १००१ ऐसी बेटियों के कन्यादान का है, जिनके सर से पिता का साया उठ चुका है। रविवार को १११ बेटियों के कन्यादान के साथ यह आंकड़ा २५१ तक पहुंच गया है। कार्यक्रम के दौरान आयोजक परिवार ने जानकारी दी अगला समूह विवाह समारोह अब छह दिसम्बर २०१५ में आयोजित किया जाएगा। इसका नाम ‘संवेदना एक बेटी कीÓ रखा गया है। रविवार को सम्पन्न हुआ कार्यक्रम लागणीना वावेतर (स्नेह का सिंचन) नाम से आयोजित किया गया था।
एक धर्मपिता, १११ कन्यादान
एक धर्मपिता ने रविवार को आयोजित सामूहिक विवाह आयोजन में १११ ऐसी बेटियों का कन्यादान किया जिनके सिर से पिता का साया पहले ही उठ चुका था। इनमें तीन मुस्लिम बेटियों का निकाह पढ़ा गया तो एक विवाह जैन पद्धति से हुआ। अन्य १०७ बेटियों का विवाह हिंदु रीति के साथ किया गया। मोटा वराछा-अब्रामा रोड स्थित पीपी सवाणी चैतन्य विद्यासंकुल स्कूल कैम्पस में आयोजित समारोह में रविवार को दिनभर मंगलकार्यों की चहल-पहल रही। हजारों लोगों की मौजूदगी में सजे १०६ मंडपों में रविवार रात पीपी सवाणी समूह के महेश सवाणी ने १०६ बेटियों का कन्यादान किया। दो बेटियां केवल फूलहार विधि से विवाह बंधन में बंधीं। तीन बेटियों का निकाह मुस्लिम रीति से किया गया। इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल वजुवाला, मुख्यमंत्री आनंदी पटेल की प्रतिनिधि के रूप में राज्य सरकार में मंत्री वसु त्रिवेदी समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
तीसरे दिन में दूसरा गिनीज रिकार्ड
१११ युगलों के सामूहिक विवाह समारोह आयोजन को गिनीज बुक ऑफ रिकाड्र्स में दर्ज कराने के लिए मेहंदी रस्म और सफाई अभियान पर फोकस किया गया था। गिनीज बुक की प्रतिनिधि लंदन की अन्ना अर्फोर्ड की मौजूदगी में दो दिन पहले शुक्रवार को एक साथ ५२१ युवतियों ने मेहंदी रचाने का रिकार्ड अपने नाम किया था। रविवार को विवाह समारोह के दौरान सफाई व्यवस्था बनाए रखकर पीपी सवाणी टीम ने दूसरा वल्र्ड रिकार्ड भी अपने नाम कर लिया। साफ-सफाई का यह रिकार्ड अब तक चीन के नाम दर्ज था। सफाई-व्यवस्था के लिए मिले अवार्ड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित करते हुए महेश सवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री की मुहिम से प्रेरित होकर यह प्रयास किया गया था।