सूरत। पुत्री से रेप कर उसे प्रेगनेंट करने के मामले में डीएनए रिपोर्ट पॉजिटीव होने के बावजूद कोर्ट ने आरोपित पिता को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि डीएनए रिपोर्ट पॉजिटीव होने के साथ साथ पीडि़ता के बयान भी उसने लगाए आरोपों के समर्थन में होने चाहिए, तभी अभियुक्त को दोषी ठहराया जा सकता है।
सचिन जीआईडीसी के उन पाटिया क्षेत्र निवासी अभियुक्त अस्लमखान के खिलाफ उसकी पुत्री ने वर्ष 2014 में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई थी। आरोप के मुताबिक मां की गैरमौजूदगी में पिता उससे करीब एक साल तक दुष्कर्म करते रहे और इसी कारण वह गर्भवती हो गई।
चार महीने की गर्भवती होने के बाद उसकी माता को इस बात का पता चला, लेकिन अस्लम ने पत्नी और पुत्री पिटाई कर जान से मारने की धमकी दी तो उन्होंने पुलिस में शिकायत नहीं की। नौ महीने की गर्भवती होने के बाद पीडि़ता ने पुत्र को जन्म दिया।
पुत्र के जन्म के साथ ही यह बात मोहल्ले में पता चलने पर आखिरकार पुत्री ने पिता के खिलाफ सचिन थाने में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपित पिता को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद पुलिस ने मेडिकल जांच के साथ-साथ पीडि़ता के पुत्र और अभियुक्त के डीएनए की जांच करवाई थी और रिपोर्ट पॉजिटीव आया था।
पुलिस की ओर से चार्जशीट पेश करने के साथ उसमें डीएनए रिपोर्ट, मेडिकल जांच, गवाहों के बयान भी शामिल किए थे। मामले की सुनवाई सेशन कोर्ट में चल रही थी। सुनवाई के दौरान पीडि़ता और गवाह अपने बयान से मुकर गए।
शुक्रवार को अंतिम सुनवाई के बाद अतिरिक्त सेशन जज कु.ममता पटेल ने सबूतों के अभाव और पीडि़ता के आरोपों को समर्थन नहीं करनेवाले बयानों को ध्यान में रखते हुए अभियुक्त को आरोपों से बरी कर दिया।
कोर्ट ने वैज्ञानिक सबूत और पीडि़त के बयान दोनों ही आरोपों का एक साथ समर्थन करते हो तभी ही अभियुक्त को कानून के सिद्घांत के तहत दोषी ठहराया जा सकता है। सिर्फ डीएनए रिपोर्ट पॉजिटीव होने से अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।