सूरत। राजद्रोह के आरोप में साढ़े चार महीने से लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के समन्वयक हार्दिक पटेल की नियमित जमानत याचिका पर डेढ़ महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को मुख्य जिला एवं सत्र न्यायाधीश गीता गोपी ने याचिका नामंजूर कर दी।
मंगलवार को जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त से जेल में मोबाइल फोन और चार्जर बरामद हुए, वहीं बस जलाने का मामला सामने आने के साथ पास के सदस्य की गिरफ्तारी हुई है, जिससे कहा जा सकता है कि आंदोलन हिंसक रूप से अभी भी जारी है।
ऐसे में सावर्जनिक हितों के सामने व्यक्तिगत मूलभूत अधिकारों पर नियंत्रण जरुरी है। अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने की भी आशंका है। इसलिए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करना न्यायोचित नहीं होगा।
गौरतलब है कि राजद्रोह मामले में चार्जशीट पेश किए जाने के बाद 22 जनवरी को उसने वकील यशवंत वाला के जरिए सूरत सेशन कोर्ट में नियमित जमानत के लिए गुहार लगाई थी। डेढ़ महीने से मुय जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
सोमवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने मंगलवार तक याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमानत याचिका नामंजूर कर दी। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान 3 अक्टूबर को हार्दिक ने सूरत में विपुल देसाई नाम के पाटीदार युवक के घर जाकर उससे कहा था कि पाटीदार मरते नहीं है, तुझमें हिमत है तो दो-पांच पुलिसवालों को मार डाल।
पुलिस के खिलाफ के इस भड़काऊ बयान को लेकर 18 अक्टूबर को डिप्टी पुलिस आयुक्त मकरन्द चौहाण ने हार्दिक पटेल के खिलाफ राजद्रोह की नामजद शिकायत दर्ज करवाई थी और क्राइम ब्रांच पुलिस ने 19 अक्टूबर को राजकोट से उसे गिरफ्तार कर लिया था।
जेल प्रशासन ने हार्दिक के जेल स्थानांतरित की कोर्ट से की मांग
इस बीच लाजपोर सेंट्रल जेल के जेलर वी.डी.पाटील ने जेल अनुशासन और सुरक्षा का मुद्दा आगे रखते हुए मंगलवार को कोर्ट में अर्जी दायर कर हार्दिक पटेल को अन्य जेल में स्थानांतरण करने की मांग की। कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 मार्च का दिन तय किया है।
जेलर वी.डी.पाटील की ओर से दायर अर्जी में लिखा है कि हार्दिक पटेल के खिलाफ अमरोली, अहमदाबाद,कामरेज और विसनगर में मामले दर्ज है। अभियुक्त 23 अक्टूबर, 2015 से लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद है। इस दौरान 4 मार्च, 2016 को जांच के दौरान उसकी यार्ड से दो मोबाइल फोन, चार्जर और बैटरी बरामद हुई थी।
इसके बाद 10 मार्च को बैरेक की जांच में हार्दिक पटेल के पास की बैग से एक हजार रुपए बरामद हुए थे, इसके अलावा मोबाइल फोन मिलने का अन्य एक मामला भी सामने आया है। यह सभी मामलों में प्रिजनर्स एक्ट का उल्लंघन हुआ है। अर्जी में पाटील ने हार्दिक पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है।
उनके मुताबिक हार्दिक पटेल की तबियत बिगडऩे पर वे चिकित्सक के साथ उसकी बैरेक में जब पहुंचे तो हार्दिक ने उन्हें धमकी दी थी कि तु मेरी नजर में है, तेरा तबादला करवा दुंगा। इसके अलावा खाने में कंकड और पानी डालने के जेल प्रशासन पर लगाए आरोप भी पुलिस जांच में झूठे साबित हुए है।
अभियुक्त की इस तरह की हरकत से जेल अनुशासन और सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे है, ऐसे में अभियुक्त का जेल स्थानांतर किया जाना जरुरी है। जेलर की अर्जी पर कोर्ट ने हार्दिक पटेल के खिलाफ नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए सुनवाई के लिए 21 मार्च का दिन तय किया है।