नई दिल्ली। किराए की कोख से जन्मा एक शिशु बीते 19 नवंबर से अपने मां—बाप के इंतजार में हैं। सेरोगेसी को लेकर बदले कानूनों की वजह ऐसा पेंच फंस गया है कि उसे दुनिया में लाने वाले नार्वे निवासी मां बाप मजबूर हैं। उसे जन्म देने वाली किराए कि मां जन्म देने की पफीस लेकर अपने घर जा चुकी है। ऐसे में बच्चा अस्पताल में ही है।
मालूम हो कि कुछ माह पूर्व केन्द्र सरकार ने भारत में विदेशी जोडों के लिए सेरागेसी प्रतिबंधित कर दी थी। यह कारण है कि बच्चे के जैविक माता पिता को भारत आने की अनुमति नहीं मिल रही है।
नार्वे निवासी दंपती ओत्तार इंजे सम्सटड और उनकी वाइफ ने संतान की चाहत में मार्च माह में भारत की ओर रुख किया था। राजधानी दिल्ली के आईवीएफ फर्टीलिटी सिर्च सेंटर में उन्होंने एक सेरोगेट मदर से बच्चे के लिए करार किया। अस्पताल और सेरोगेट मदर के बीच करार के बाद दंपती वापस नार्वे लौट गया। इसी दौरान कानून में बदलाव हो गया और 18 अक्टूबर को भारत में विदेशी जोडों के लिए सेरोगेसी प्रतिबंधित करने के आदेश हो गए।
ऐसे हालात में बच्चे के मालिकाना हक और उसकी सारसंभाल को लेकर परेशानी उठ खडी हुई। अपने बच्चे के लिए दंपती ने नार्वे स्थित भारतीय दूतावास में वीजा के लिए आवेदन किया तो उन्हें बताया गया कि 3 नवंबर 2015 से सेरोगेसी के लिए मेडिकल वीजा बंद कर दिया गया है। इसलिए उन्हें वीजा नहीं मिल सकेगा।
अस्पताल ने यह मामला विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया। विदेश मंत्रालय ने मानवीय आधार पर नार्वे दूतावास को वीजा जारी करने को कहा लेकिन अभी तक दंपती को वीजा नहीं मिल सका। इस बीच बच्चे के जैविक माता पिता जीना और ओत्तार नार्वे में भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। उनका कहना है कि वे अपने बच्चे को नार्वे लाना चाहते हैं।