मुंबई। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए मजबूत उम्मीदवार मानी जा रहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी उम्मीदवारी की खबरों को अफवाह करार दिया है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात के एक दिन पहले कहा कि सभी नामों पर चर्चा होगी। शिवसेना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत या कृषि-वैज्ञानिक एम.एस.स्वामीनाथन को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की है।
विदेश मंत्रालय के एक कार्यक्रम से अलग सुषमा ने संवाददाताओं से मीडिया की उस रपट को अफवाह करार दिया, जिसमें उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ये सब अफवाह है। मैं विदेश मंत्री हूं और आप मुझसे कुछ ऐसा पूछ रहे हैं, जो कि पार्टी का अंदरूनी मामला है।
नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर मुंबई में एक प्रेस वार्ता में शाह ने कहा कि हम अपने और राजग के घटकों के बीच विभिन्न नामों पर चर्चा और विचार कर रहे हैं। भाजपा सभी पार्टियों के साथ सर्वसम्मति तथा परामर्श में विश्वास रखती है।
शिवसेना द्वारा सुझाए गए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन के नामों पर उन्होंने आश्वासन दिया कि कोई भी फैसला लेने से पूर्व सभी नामों पर विचार किया जाएगा और चर्चा की जाएगी।
उन्होंने चुटकी ली कि अगर आपके मन में कोई नाम है तो मुझे बताएं। हम उस पर भी विचार करेंगे। विपक्ष की यह शिकायत की सत्ता पक्ष की तरफ से उन्हें कोई नाम नहीं मिला, शाह ने कहा कि अगर हम उनके समक्ष किसी का नाम रखेंगे, तो वे कहेंगे कि इस पर पहले ही फैसला कर लिया गया है, फिर इन बैठकों का क्या मतलब है..।
शाह रविवार सुबह मुंबई में उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने वाले हैं और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सहित कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। केंद्र तथा राज्य में भाजपा का समर्थन करने वाली शिवसेना की कई मुद्दों पर भाजपा से ठनी हुई है और वह लगातार अपने भगवा साझेदार पर हमले कर रही है। पार्टी ने पिछले दो राष्ट्रपति चुनाव से भाजपा के साथ मतदान नहीं किया है।
शुक्रवार को राजनाथ सिंह तथा नायडू से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता डी.राजा ने कथित तौर पर पूछा कि क्या भाजपा भागवत या स्वामीनाथन को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएगी, जैसा शिवसेना ने कहा है? जिसके जवाब में नायडू ने उनसे कथित तौर पर कहा कि आरएसएस के लोग कभी चुनाव नहीं लड़ते हैं।
इस बीच, विपक्षी पार्टियां अगले सप्ताह की शुरुआत में रणनीति पर फैसला लेने के लिए बैठक कर सकती हैं कि सरकार द्वारा उतारे गए उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया जाए या नहीं।
विपक्षी सूत्रों ने कहा है कि अगर बेवजह में विलंब होता है, तो सरकार द्वारा नाम आने से पहले गैर भाजपा पार्टियां मुद्दे पर विचार कर सकती हैं।