नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को इससे इनकार किया कि भारत पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा नहीं दे रहा है।
उन्होंने साथ ही पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक सरताज सरताज अजीज से अपने उस पत्र का जवाब मांगा, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान में जासूसी व विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए मृत्युदंड पाए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मां को पड़ोसी मुल्क की यात्रा के लिए अनुमति की मांग की है।
सुषमा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार अजीज को इलाज के लिए भारत आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के मेडिकल वीजा के लिए अनुशंसा देने में हिचकना नहीं चाहिए।
सुषमा का यह बयान पाकिस्तान की उन मीडिया रिपोर्टों के बीच आया है, जिनमें कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने 25 वर्षीया पाकिस्तानी युवती का मेडिकल वीजा का आवेदन खारिज कर दिया, जो ट्यूमर के इलाज के लिए भारत आना चाहती थी।
पाकिस्तानी युवती फैजा तनवीर ने सुषमा स्वराज से मामले में हस्तक्षेप करने और अपनी ‘जिंदगी बचाने’ के लिए मदद करने की गुहार लगाई थी।
सुषमा ने कहा कि भारतीय प्रशासन पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देना जारी रखेंगे, पर इसके लिए अजीज की अनुशंसा चाहिए होगी।
सुषमा ने कहा कि मैं पाकिस्तानी नागरिकों को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि उन्हें अजीज की अनुशंसा के बाद मेडिकल वीजा मिलेगा। हम तुरंत वीजा जारी करेंगे। मेरी संवेदनाएं इलाज के लिए भारत आने की चाह रखने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों के साथ हैं।
सुषमा ने अजीज से उन सभी लोगों के नाम की अनुशंसा करने को कहा, जो भारत में इलाज के लिए मेडिकल वीजा चाहते हैं।
सुषमा ने कहा कि मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि वह (अजीज) वीजा आवेदन के लिए अपने ही देश के नागरिकों के नाम आगे रखने में हिचकिचा क्यों रहे हैं? मुझे यकीन है कि सरताज अजीज को अपने देश के नागरिकों का ख्याल है।
सुषमा ने जाधव का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि उन्होंने निजी तौर पर जाधव की मां अवंतिका जाधव को वीजा जारी करने के लिए अजीज को पत्र लिखा था।
सुषमा ने कहा कि हमारे पास भी एक भारतीय नागरिक (अवंतिका जाधव) का वीजा आवेदन लंबित पड़ा है, जो पाकिस्तान में अपने बेटे से मिलना चाहती हैं, जिन्हें पाकिस्तान में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाए गए मृत्युदंड पर अंतरराष्ट्रीय न्याय ने रोक लगा रखी है।