मुंबई। नक्सलवादियों से संबंध रखने के मामले में मंगलवार को गढ़चिरोली जिला सत्र न्यायालय ने डीयू के प्रोफेसर जी एन साईबाबा सहित पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
इन पांच लोगों में जेएनयू के छात्र विजय तिरकी, महेश तिरकी, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा और प्रशांत राही का भी समावेश है। जिला सत्र न्यायालय ने इस मामले छठे आरोपी को दस साल सश्रम कारावास की भी सजा सुनाई है।
मिली जानकारी के अनुसार जी एन साईबाबा दिल्ली विद्यापीठ में प्रोफेसर हैं और वह रिवोलुशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट व सीपीआई माओइस्ट संगठन से भी जुड़े थे। गढ़चिरोली पुलिस ने प्रो. साईबाबा को दिल्ली से 9 मई 2014 को गिरफ्तार किया था।
इसी तरह हेम मिश्रा को भी दिल्ली से भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन दोनों के पास से भारी पैमाने पर नक्सली साहित्य भी बरामद किए गए थे। गिरफ्तारी के बाद साईबाबा ने मुंबई हाईकोर्ट में जमानत के लिया आवेदन किया था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इसके बाद साईबाबा ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गढ़चिरोली जिला सत्र न्यायालय को इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश जारी किया था। हालांकि कुछ दिनों पहले साईबाबा को जमानत दी गई थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने 23 गवाहों की गवाही दर्ज की गई और इस मामले में मंगलवार को साईबाबा सहित अन्य आरोपियों को देश विघातक कार्रवाई में शामिल पाया गया और इस मामले में साईबाबा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
जानिए कौन हैं डीयू के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को मंगलवार को गढ़चिरौली की एक अदालत ने नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। शरीर से तकरीबन 90 फीसदी विकलांग साईबाबा लम्बे समय से आदिवासियों-जनजातियों के बीच रहते रहे हैं।
2003 में दिल्ली आने से पहले उनके पास व्हीलचेयर खरीदने के भी पैसे नहीं थे। लेकिन पढ़ाई में तेजी की वजह से साईबाबा को डीयू में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। साईबाबा 9 मई, 2014 में गिरफ्तार होने से पहले राम लाल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।
अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम (एआईपीआरएफ) के एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार करने के लिए 2 लाख किमी से अधिक की यात्रा की थी।
नागपुर में उन्हें उसी अंडा जेल में 14 महीने तक रखा गया था। साईबाबा पर शहर में रहकर माओवादियों के लिए काम करने का आरोप है। क्रांतिकारी डेमोक्रेटिक फ्रंट माओवादियों का गुट है।
इन पर इस गुट के सदस्य होने का आरोप था। सितंबर 2009 में कांग्रेस सरकार के शुरू किए गए ऑपरेशन ग्रीन हंट में पकड़े गए थे। माओवादियों पर काबू पाने के लिए शुरू हुआ था ऑपरेशन ग्रीन हंट।