नई दिल्ली। स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में रविवार को किसानों ने सुप्रीम कोर्ट से कृषि भवन तक “नीयत की नपाई” पैदल मार्च निकाला। योगेंद्र यादव को पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन बाद में छोड़ दिया।
योगेंद्र यादव के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के हक में तमाम फैसले दिए हैं बावजूद इसके केंद्र सरकार ने जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं किया है परिणाम स्वरूप अन्न उपजाने वाला किसान भूख से मर रहा है।
सरकार को नींद से जगाने के लिए जय किसान आंदोलन के तहत यह मार्च निकाला गया। उन्होंने कहा 167 दिन, 4000 घंटे, गुज़रने के बाद भी उच्चतम न्यायालय द्वारा मात्र 2810 मीटर की दूरी पर स्थित कृषि भवन तक सूखा राहत नही पहुंची है।
योगेंद्र ने कहा कि 0.7 मीटर प्रति घंटा, यानि 1.12 सेंटीमीटर प्रति मिनट है इस सरकार के काम करने की रफ़्तार। उन्होंने सरकार को कछुआ चाल कहते हुए “गुड गवर्नेंस” पर उठाया सवाल उठाया।
रविवार को इस मार्च के कृषि भवन भवन तक पहुंचने से पहले ही दोपहर एक बजे दिल्ली पुलिस योगेंद्र यादव समेत सभी किसानों को हिरासत में ले कर संसद मार्ग थाने ले गई। हालांकि कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। इसके बाद यादव ने जाकर जंतर-मंतर पर अपना प्रदर्शन जारी रखा।
इस पूरी घटना पर किसानों ने कहा कि हम सरकार की नीयत की नपाई कर रहे थे, शांतिपूर्ण ढंग से, सुप्रीम कोर्ट से कृषि भवन की दूरी नाप के। पुलिस ने हिरासत में ले लिया। नीयत का पता चल गया।
दरअसल 5 महीने पहले स्वराज अभियान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने केंद्र व राज्य की सरकार को आदेश दिया था क़ि देश के सूखा पीड़ित राज्यों में बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को 5 किलो अनाज, स्कूल में गर्मियों के छुट्टी में भी मध्यान भोजन, ऐसे राज्यों में किसानों को दिए गए बैंक कर्ज में नरमी बरती जाइये। साथ ही बच्चों को हफ्ते में दूध या अंडा दिया जाये। सोमवार को दो बजे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई है।